हिंदू धर्म में कैसे मिलता है आसानी से तलाक, 13B और 13A की जरूरी जानकारी
तलाक एक गंभीर मुद्दा है, लेकिन आज के समय में लोगों इसको लेने से पहले सोचते तक नहीं है।
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत अपनी मर्जी से तलाक को रखा गया है।
धारा 13 (1) के अन्तर्ग दिये हुए कोई भी आधार नहीं हैं, लेकिन फिर भी दोनों एक साथ नहीं रहना चाहते है। तो धारा 13 (बी) के तहत तलाक ले सकते है।
धारा 13 (बी) के अनुसार आपसी सहमति से तलाक की याचिका दायर करने से पहले दोनों को करीब 1 साल की अवधि के लिए अलग रहना होगा।
एक साल का यह समय जहां दोनों अलग-अलग रहती हैं। यह याचिका दायर करने से ठीक पहले होना चाहिए।
अलग रहने का मतलब शारीरिक रूप से अलग-अलग जगहों नहीं, बल्कि एक ही घर में रहे लेकिन उनके बीच में दूरिया हो।
धारा 13 बी (2) के अनुसार आपसी सहमति से तलाक के लिए याचिका दायर करने के पश्चात दोनों को 6 महीने का समय दिया जाता है।
इस समय में दोनों को 18 महीने और सोचने का मौका दिया जाता है।
क्या होता है ?कूलिंग पीरियड
यदि इस पीरियड में बात नहीं बनी तो दोनों के तलाक की याचिका पर जिला न्यायाधीश द्वारा कन्फर्म कर दिया जाता है।