दिल्ली HC ने हाल ही दूध में ऑक्सीटोसिन मिलाए जाने वाले मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि ऑक्सीटोसिन पर पाबंदी के बावजूद भी इसका दूध में क्यों इस्तेमाल हो रहा है
HC ने यह भी है कि पशुओं में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करना उनके खिलाफ क्रूरता जैसा ही है,इसके बाद HC ने विभिन्न एजेंसियों को ऑक्सीटोसिन के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं
आइए जानते हैं कि ऑक्सीटोसिन क्या होता है और इसका मिलावटी दूध पीले के क्या नुकसान होते हैं?
बता दें, ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल खासतौर पर उन पशुओं पर किया जाता है,जिन्हें प्रसव के दौरान समस्या आती है,इसका मुख्य काम है गर्भवती गायों या भैंसों को प्रसव के समय आराम से डिलीवरी कराना है
प्रसव के दौरान जब इसके इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है तब पशुओं में दूध वाली ग्रंथियों में उत्तेजना बढ़ जाती है और अप्राकृतिक रूप से दूध बहने लगता है
ऑक्सीटोसिन वाला दूध पीने से दिल की धड़कन अनियमित प्यार बढ़ाने वाले इस हार्मोन का शरीर में ज्यादा मात्रा में पहुंचने से मूड स्विंग की समस्या हो सकती है,हर छोटी बात पर गुस्सा आ सकता है
इसके अलावा यह पुरुषों और महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है,गर्भवती महिलाओं का ये दूध पीने की वजह से गर्भपात होने का डर रहता है
पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के सेक्शन 12 के तहत दुधारू पशु पर ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करना अवैध है और यह जानवरों पर क्रूरता है
इसी वजह से केंद्र सरकार ने 2018 में ऑक्सीटोसिन हार्मोन पर प्रतिबंध लगा दिया था