देवी कुमारी कैसे बनीं कन्याकुमारी, जानिए कहानी

कन्याकुमारी, तमिलनाडु राज्य का एक प्राचीन शहर है, इस शहर का नाम कन्याकुमारी ही क्यों हैं? इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है

किवदंती है बहुत समय पहले बानासुरन नाम का दैत्या हुआ था, उसने भगवान शिव की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया और वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु कुंवारी कन्या के अलावा किसी से न हो,भगवान शिव ने उसे मनोवांछित वरदान दे दिया

देवी कुमारी पांड्य राजाओं की अधिष्ठात्री देवी थीं, देवी कुमारी ने उस दौर में दक्षिण में कुशलतापूर्वक राज्य किया, कुमारी की हार्दिक इच्छा थी कि उसका विवाह भगवान शिव से हो, जब ये बात शिव को पता चली तो वह भी विवाह के लिए राजी हो गए

 इस दौरान जी बानासुरन को कुमारी की सुंदरता के बारे में पता चला तो वो सुनकर ही मोहित हो गया, उसने कुमारी को विवाह का प्रस्ताव पहुंचाया

कुमारी ने कहा कि यदि वह उसे युद्ध में हरा दे तो वह बानासुरन से विवाह कर लेगीं, दोनों में युद्ध हुआ और बानासुरन मारा गया, इस तरह देवी कुमारी ने उस दैत्य को मारकर वहां रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय कर दिया

मान्यता है कि जब शिव और कुमारी का विवाह अधूरा रह गया तो वहां जो भी विवाह के लिए तैयारियां की गईं थी वो सब रेत में बदल गईं, और इस तरह आधुनिक कन्याकुमारी शहर की नींव रखी गई

तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है