खूनी दरवाज़ा इसे लाल दरवाज़ा भी कहते हैं, औरंगज़ेब ने यहीं अपने भाई का सिर कटवाकर इस दरवाज़े पर लटका दिया था
1947 में सैकड़ों शरणार्थियों की हत्या इसी दरवाज़े पर की गई थी, लोगों का कहना है कि आज भी इस दरवाज़े से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आती हैं