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Netaji Subhash Chandra Bose: आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कर दिया था अंग्रेजों की नाक में दम, पढ़ें आजाद हिंद फौज की कहानी

• LAST UPDATED : October 21, 2023

India News(इंडिया न्यूज़), Netaji Subhash Chandra Bose: आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस का अहम योगदान है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिंद फौज का गठन किया और आजादी से पहले ही भारत की अस्थायी सरकार बनाई, जिसे 10 देशों ने मान्यता भी दी। आज़ाद हिन्द फ़ौज के पास अपना बैंक और मुद्रा भी थी। आज उस सरकार की 80वीं सालगिरह है।

आजादी से पहले बना ली थी अस्थायी सरकार

आजादी से पहले ही सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में भारत की अस्थायी सरकार बना ली थी, जिसे जापान समेत कई देशों ने मान्यता दी थी। 21 अक्टूबर 1943 भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है। आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में अखंड भारत की अस्थायी सरकार के गठन की घोषणा की थी और इसे 10 से अधिक देशों ने मान्यता भी दी थी। इस तरह तमाम संघर्षों के बाद बनी इस पहली सरकार की आज 80वीं वर्षगांठ है। आइए जानते हैं आजाद हिंद फौज से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां।

 

आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन कब हुआ?

आजाद हिंद फौज का गठन सबसे पहले राजा महेंद्र प्रताप सिंह, रास बिहारी बोस और निरंजन सिंह गिल ने 29 अक्टूबर 1915 को किया था, जिसे उस समय आजाद हिंद सरकार की सेना कहा जाता था। इसे आज़ाद हिन्द फ़ौज का नाम तब मिला जब नेता जी सुभाष चन्द्र बोस को इस सेना का सर्वोच्च सेनापति नियुक्त किया गया। उन्हें यह जिम्मेदारी रासबिहारी बोस ने दी थी, जो स्वयं स्वतंत्रता के बड़े प्रेमी थे। शुरुआत में अंग्रेजों ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया लेकिन नेताजी के कमान संभालने के बाद अंग्रेज सक्रिय हो गए। गिरफ़्तारियाँ होने लगीं और सेना के जवानों पर अत्याचार होने लगे।

आज़ाद हिन्द फ़ौज के पास थे 85 हजार सैनिक

अंग्रेज उनसे डरते थे। उसके पास 85 हजार सशस्त्र सैनिक थे। अपना रेडियो स्टेशन था. वह पहले स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने पहले ही अंडमान निकोबार में तिरंगा झंडा फहराकर आजादी की घोषणा कर दी थी। जब वे गांधीजी से असहमत थे तो उन्होंने दूरी बना ली और फिर दुनिया के कई देशों में जाकर भारत की आजादी के लिए माहौल बनाना शुरू कर दिया। विदेशी सहयोग से उन्होंने अनेक इतिहास लिखे। विदेशी धरती पर नेताजी को आजाद हिंद फौज की कमान सौंपी गई। उन्होंने विदेशी धरती पर अखंड भारत की सरकार बनाई।

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