2000 Rupee Notes: 2016 में नोटबंदी के बाद 2000 रुपये का नोट बाजार में तेजी से नगदी सप्लाई बढ़ाने के लिए सरकार लेकर आई थी। जिसके बाद अब उसे वापस लेने की मांग शुरू हो चुकी है। बता दे ये मांग सत्ताधारी पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने की है। आपको बता दे सुशील मोदी ने राज्यसभा में कहा कि 2000 रुपये का नोट का मतलब ब्लैकमनी हो चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को 3 साल का समय देकर धीरे-धीरे कर 2000 के नोट को वापस ले लेना चाहिए।
दरअसल 6 साल पहले 8 नंवबर 2016 को मोदी सरकार ने 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोट को रद्द कर दिया था। नोटबंदी के बाद बाजार में नगदी लाने के लिए आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट प्रयोग किया। लेकिन अब 2000 रुपये के नोट का दर्शन दुर्लभ होता जा रहा है। एटीएम से बिरले 2000 रुपये के नोट निकलते हैं। 2000 रुपये के नोट की जमाखोरी हो रही है।
बता दे आरबीआई ने भी माना था कि देश में 2,000 रुपये के नोट के सर्कुलेशन में कमी आई है। आरबीआई ने साल 2021-22 के सलाना रिपोर्ट में कहा कि 2020-21 में कुल करेंसी सर्कुलेशन में 2,000 रुपये को नोटों की हिस्सेदारी 17.3 फीसदी थी वो घटकर अब 13.8 फीसदी रह गई है। 2019-20 में 2000 रुपये के 5,47,952 रुपये वैल्यू के नोट सर्कुलेशन में थे और कुल नोटों में 22.6 फीसदी हिस्सेदारी थी। 2020-21 में घटकर ये 4,90,195 करोड़ रुपये वैल्यू की रह गई और 2021-22 में कुल करेंसी के सर्कुलेशन में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या और कम होकर 4,28,394 करोड़ रुपये रह गई है।
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