Delhi High Court:
नई दिल्ली: दिल्ली में प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर निजी स्कूल किसी शिक्षक या कर्मचारी को अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित करता है तो दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय से मंजूरी लेनी होगी। अगर निजी स्कूल 15 दिन में मंजूरी नहीं ली तो निलंबन के आदेश को रद्द माना जाएगा।
2020 में निलंबित हो गई थी शिक्षिका
दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीष चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने ये फैसला सुनाया। जिसमें दिल्ली शिक्षा अधिनियम की धारा 8 के बिंदु 4 और 5 के प्रावधानों को स्पष्ट किया गया। हाईकोर्ट ने यह फैसला एक शिक्षिका की याचिका पर सुनाया। जो एक प्राइवेट स्कूल में कार्यरत थीं। शिक्षिका को स्कूल प्रबंधन ने 2020 में निलंबित कर दिया था। जिसके एक साल बाद शिक्षा निदेशालय ने निलंबन को मंजूरी दी थी।
स्कूल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती
हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि शिक्षिका का निलंबन जारी नहीं रखा जा सकता है। इससे पहले एकल पीठ ने भी शिक्षिका के हक में फैसला सुनाया था। जिसके फैसले को स्कूल प्रबंधन ने चुनौती दी थी। दरअसल, मामला दिल्ली पब्लिक स्कूल द्वारका का है। जिसने एक शिक्षिका को निलंबित कर 4 दिन बाद निलंबन की जानकारी दी थी। जिसके बाद शिक्षिका ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी, और कहा कि शिक्षा निदेशालय की बिना मंजूरी के ही स्कूल प्रबंधन ने निलंबन का आदेश पारित किया है।
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