India News(इंडिया न्यूज़), RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिलहाल 15 मार्च तक छूट है। इस बीच, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के निदेशक मंडल में काफी बदलाव हुआ है, कंपनी के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। सेबी के पूर्व चेयरमैन एम. दामोदरन की अध्यक्षता में एक सलाहकार पैनल भी बनाया गया है। क्या पेटीएम पेमेंट्स बैंक को इन सब से कोई राहत मिलने वाली है? पहले मिली चेतावनियों पर क्या गंभीरता दिखानी चाहिए थी?
दूसरी ओर, पेटीएम जैसी फिनटेक कंपनियों का रेग्युलेशन भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए नया है। ऐसे पेमेंट बैंकों और फिनटेक कंपनियों पर नजर रखने के लिए आरबीआई में दो साल पहले एक अलग विभाग बनाया गया है, जिसने इस सेक्टर पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। वहीं भारत के बैंकिंग सेक्टर में पेमेंट्स बैंक की एंट्री भी नवंबर 2014 में हुई थी। इससे पहले आम और गरीब लोगों की जरूरतों को देखते हुए 2009 में स्मॉल फाइनेंस बैंक की एंट्री हुई थी। इन सबके बीच पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड 2017 से काम कर रहा है।
इस बीच पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ आरबीआई की कार्रवाई पर सरकार के रुख पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि उसे सरकार का समर्थन हासिल है। विजय शेखर शर्मा की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात के बाद भी बयान आया कि ये रेगुलेटर का काम है। इस संबंध में पेटीएम को सीधे आरबीआई से बात करनी चाहिए। इसके बाद ही विजय शेखर शर्मा का इस्तीफा आया है। इस बीच आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर प्रतिबंध से राहत 29 फरवरी से बढ़ाकर 15 मार्च तक कर दी है।
जिस तरह से आरबीआई को सरकार से समर्थन मिला है, उससे पता चलता है कि सरकार देश में नियमन सख्त करने के पक्ष में है। इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि शायद इसीलिए पेटीएम पेमेंट्स बैंक के हितधारकों ने बोर्ड में बदलाव किया है, ताकि कोई भी संभावित खरीदार विजय शेखर शर्मा की छवि से प्रभावित होकर वापस न लौट जाए। अब देखना यह है कि 15 मार्च के बाद पेटीएम पेमेंट्स बैंक का क्या होता है?