डोमेस्टिक बाजार में तेजी से बढ़ते चावल के दाम पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। चावल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने चावल की कुछ किस्मों पर 20 फीसदी शुल्क लगा दिया। ऐसा करने से कम अंतरराष्ट्रीय खरीदार भारतीय आपूर्तिकर्ताओं से अनाज खरीदेंगे और भारत में चावल की सप्लाई को बढ़ावा मिलेगा और इससे कीमतों में कमी आ जाएगी।
स्थानीय आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए पारबॉयल्ड राइस के अतिरिक्त सभी किस्मों के गैर-बासमती चावल के निर्यात पर शुल्क लगाया गया है। दरअसल, इस समय खरीफ सीजन के चलते चावल की बुवाई के क्षेत्र में गिरावट के बीच उत्पादन प्रभावित होने की उम्मीद है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स ने आगे कहा कि ‘सेमी मिल्ड या फुल मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश हो या ग्लेज्ड (पारबॉयल्ड चावल और बासमती चावल के अलावा)’ के निर्यात पर भी 20 फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगाई जा रही है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चालू खरीफ सीजन में धान की फसल के तहत बुवाई का रकबा 383.99 लाख हेक्टेयर है, जो कुछ राज्यों में खराब बारिश के कारण 5.62 फीसदी तक गिर गया। वहीं नई ड्यूटी 9 सितंबर यानी आज से लागू हो गई है। इसके अलावा केंद्र ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ा चावल के निर्यात पर प्रतिबंध भी लगा दिया है।
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