केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब इससे जुड़े दूसरे उत्पादों के निर्यात को भी सीमित कर दिया है यानी कि अब धड़ल्ले से आटा, सूजी और दलिया जैसे उत्पादों का निर्यात करना आसान नहीं रहेगा। केंद्र सरकार के अनुसार ऐसा हमारे भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए किया गया है। हालांकि, इन उत्पादों के निर्यात पर पूरी तरह से पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन इससे जुड़े नियमों को पहले से और अधिक सख्त कर दिया गया है और अब निर्यात करने के लिए पहले सरकार से अनुमति लेनी पड़ेगी।
मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद, सरकार ने गेहूं के आटे के आउटबाउंड शिपमेंट के लिए एक नया अनुमोदन ढांचा अमल में लाने का फैसला किया है। गेहूं के आटे के निर्यातकों को अब आटे के शिपमेंट के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी की आवश्यकता होगी। नए नियम 12 जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे। यही नहीं, जब से यह नीतिगत बदलाव प्रभाव में आएगा, कुछ विदेश भेजा जाने वाले आटे की खेप को निर्यात की अनुमति दी जाएगी। यह वह आटा होगा, जो अधिसूचना जारी होने से पहले जहाज पर लद गया होगा या फिर गेहूं के आटे की खेप सीमा शुल्क विभाग को सौंप दी गई होगी और उन्होंने इसे अपने सिस्टम में दर्ज कर लिया होगा।
इसी साल 13 मई को घरेलू आवश्यकताओं के मद्देनजर केंद्र सरकार ने गेहूं पर अपनी निर्यात नीति में बदलाव किया था और इसकी विदेश सप्लाई को ‘निषिद्ध’ श्रेणी में डाल दिया था। सरकार ने बाद में इसकी जानकारी देते हुए कहा भी था कि देश की खाद्य सुरक्षा के पूर्ण रूप से प्रबंध करने के साथ-साथ पड़ोसियों की जरूरतों को ध्यान में रखने के अलावा बाकी जरूरतमंद देशों की आव्यकताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन दुनिया में गेहूं के बड़े उत्पादक और निर्यातक भी हैं। लेकिन युद्ध की वजह से यूक्रेन के गोदामों में गेहूं भरे पड़े हैं, लेकिन उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही है।
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