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76th Independence Day: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शामिल नहीं हुई कांग्रस, खाली रही मल्लिकार्जुन खरगे की कुर्सी

• LAST UPDATED : August 15, 2023

India News(इंडिया न्यूज़)76th Independence Day: भारत की आज़ादी महोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं बार ऐतिहासिक लालकिले से राष्ट्र को संबोधित किया। बता दे कि विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। उस दौरान एक कुर्सी खाली थी। गैरहाज़िरी का कारण बताते हुए कहा गया कि उनकी ‘तबीयत नासाज़’ है।

स्वतंत्रता सेनानियों को दी श्रद्धांजलि

लालकिले के सामने मेहमानों के लिए रखी गई कुर्सियों के बीच एक पर मल्लिकार्जुन खरगे का नाम लिखा था, और वह खाली रही. विपक्षी दल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कार्यक्रम में शिरकत नहीं कांग्रेस ने उनकी गैरहाज़िरी की सफाई देते हुए कहा कि खरगे की ‘तबीयत ख़राब’ है। खरगे ने एक कड़ा रिकॉर्डेड संदेश भेजा, जिसमें देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की उपलब्धियों का ज़िक्र किया गया। वीडियो संदेश में मल्लिकार्जुन खरगे ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, मौलाना आज़ाद, राजेंद्र प्रसाद, सरोजिनी नायडू तथा बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर सरीखे स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी।

PM मोदी पर साधा निशाना

कांग्रेस अध्यक्ष ने PM नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “हर प्रधानमंत्री ने देश की प्रगति में योगदान दिया है… आज कुछ लोग यह कहने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत ने केवल पिछले कुछ वर्षों में प्रगति देखी हैउन्होंने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ सभी प्रधानमंत्रियों ने देश के ही बारे में सोचा था और विकास के लिए कई कदम उठाए… मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज लोकतंत्र, संविधान और स्वायत्त संस्थाएं गंभीर खतरे में हैं… विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए नए-नए औज़ारों का इस्तेमाल किया जा रहा है… न सिर्फ़ CBI, ED और इन्कम टैक्स विभागों की ओर से छापे मारे जा रहे हैंविपक्षी सांसदों का मुंह बंद किया जा रहा है, निलंबित किया जा रहा है, माइक बंद किए जा रहे हैं, भाषणों को हटाया जा रहा है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या कहा ऐसा

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “महान नेता नया इतिहास बनाने के लिए अतीत के इतिहास को नहीं मिटाते… वे हर चीज़ का नाम बदलने की कोशिश करते हैं – उन्होंने पिछली योजनाओं, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का नाम बदल दिया, वे अपने तानाशाही तरीकों से लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं… अब वे देश में शांति स्थापित करने वाले पुराने कानूनों का नाम बदल रहे हैं… पहले उन्होंने कहा, ‘अच्छे दिन’, फिर ‘नया भारत’, अब ‘अमृत काल’ – क्या वे अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए नाम नहीं बदल रहे हैं…?

 

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