AAP: आप (AAP) ने केंद्र सरकार के ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। इसे लेकर पार्टी ने 12 पन्नों विधि आयोग को अपनी राय भी भेजी है। आप के मुताबिक, यह प्रस्ताव गैर संवैधानिक और लोकतंत्र के सिद्धांत के खिलाफ है। इसके लागू होने से देश के लोकतंत्र को बहुत नुकसान होगा। केंद्र व राज्य के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। जनता अलग-अलग पार्टी के लिए वोट करती है। अगर लोकसभा और विधान सभा चुनाव एक साथ होता है तो बड़ी और पैसे वाली पार्टी अपने पैसे और प्रचार के बल पर राज्य के मुद्दों को दबा देंगी और मतदाता का निर्णय प्रभावित हो जाएगा।
मीडिया से बातचीत के दौरान आप विधायक आतिशी ने कहा कि अगर केंद्र या राज्य में गठबंधन से बनी कोई सरकार दो साल में ही गिरती है तो अगले तीन साल तक चुनाव नहीं हो सकते हैं। मसलन, 2013 में दिल्ली में आप ने 28 सीट के साथ अल्पमत की सरकार बनाई थी, जो महज 49 दिन ही चली थी और 2015 के चुनाव में जनता ने आप को एक तरफा जनादेश दिया। अगर 2013 में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ लागू कर दिया गया होता तो दिसंबर 2018 में ही चुनाव हो सकता था और दिल्ली की जनता का जनादेश देने का अधिकार खत्म हो जाता। इसके अलावा वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने पर सदन में विश्वास मत खोने के बावजूद भी सरकारें कई साल तक चल सकती हैं, क्योंकि चुनाव 5 साल बाद ही हो सकेंगे।
अगर किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाता है, तो एंटी डिफेक्शन लॉ को रद्द करते हुए किसी विधायक-सांसद को सीएम-पीएम चुन लिया जाएगा। आप नेता जस्मीन शाह ने आरोप लगाते हुए कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से भाजपा का अब ऑपरेशन लोटस को संविधान में लागू करने की योजना है। सभी पार्टियों को मिलने वाले सारे चंदे में से तीन चौथाई चंदा बीजेपी को मिलता है। ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर भाजपा एमएलए ख़रीदती है। इस प्रस्ताव के लागू होने से केवल भाजपा को फायदा है।
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