इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : आप द्वारा टोल वसूली में अनिमियतता का आरोप लगाये जाने पर निगम ने वसूली के तथ्य और आंकड़े जारी किए है। उक्त जारी आकड़े में यह बताया गया है कि पूरी पारदर्शी से टोल की वसूली चल रही है। इसके साथ ही जिस कंपनी ने टोल वसूली का ठेका लिया और पूरा भुगतान नहीं किया, उसे पांच साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है।
निगम ने कहा है कि पूर्व में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने 2017 में टोल टैक्स व ईसीसी (पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क) वसूली का कार्य निजी कंपनी को 1206 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से सौंपा था। ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल हाईवे आरंभ होने के बाद एजेंसी द्वारा अनुबंध की शर्तों के अनुसार टोल टैक्स का भुगतान निगम को नहीं किया गया, जिससे दक्षिणी निगम ने मार्च 2020 में अनुबंध समाप्त कर दिया था। इसके विरोध में एजेंसी दिल्ली हाई कोर्ट में चली गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने एजेंसी की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद दक्षिणी दिल्ली ने टोल नाकों को अपने अधीन कर लिया।
निगम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अनुबंधित एजेंसी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार टोल वसूली व जुमार्ना वसूलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दक्षिणी निगम ने पूर्व अनुबंध रद्द करने के बाद अन्य एजेंसी के साथ टोल वसूली व ईसीसी संबंधी प्रक्रिया आरंभ की है।
मौजूदा समय में अनुबंधित एजेंसी ने 636 करोड़ के आरक्षित मूल्य के मुकाबले 786.60 करोड़ की बोली लगाकर अनुबंध हासिल किया है, जिससे निगम को आरक्षित मूल्य से 24 प्रतिशत अधिक राशि मिलेगी। निविदा बोली की राशि में 1200 करोड़ के मुकाबले 786.6 करोड़ रुपए की राशि मिलना दशार्ता है कि यह टोल व ईसीसी वसूली का अच्छा माडल है। निगम के पास जमा दस्तावेजों के आधार पर पूर्व और वर्तमान एजेंसी आपस में किसी भी प्रकार से संबंधित नहीं है।
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