India News Delhi (इंडिया न्यूज), AAP Congress Alliance: बड़े बड़े नेताओं का पार्टी से जाना कोई छोटी बात नहीं है। कांग्रेस ने भले ही अरविंदर सिंह लवली, राजकुमार चौहान, नसीब सिंह, नीरज बसोया, ओमप्रकाश बिधूड़ी और जयकिशन शर्मा जैसे नेताओं को भुला दिया हो मगर इनका BJP को ज्वाइन करना INDI गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए बहुत ही ज़ादा नुकसान की वजह भी बन सकता है।
ये नेता अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित और सक्रिय थे, और उनका बाहर जाना पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान हो सकता है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लवली का दिल्ली में विशेष माना जाता है, और उनकी पिछली चुनौती भरी उपस्थिति से वह दिल्ली में एक महत्वपूर्ण रोल निभा सकते थे। इस निर्णय के परिणाम स्वरूप, पार्टी को एक बड़ा वोट बैंक खोने का खतरा भी है, जो उनके नेतृत्व में आधारित था। इस समय यह भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस अपने इन निर्णयों के माध्यम से अपनी राजनीतिक दिशा को कैसे स्थायी बनाने की कोशिश कर रही है।
शीला दीक्षित सरकार के दौरान 15 साल तक शहरी विकास मंत्री के रूप में काम करने वाले राजकुमार चौहान का समाज में बड़ा प्रभाव रहा है। उन्होंने दिल्ली के अन्य क्षेत्रों के साथ ही उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में अनुसूचित जाति समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके साथ शीला सरकार के कार्यकाल में उनका साथ देने वाले सिख समुदाय में भी उनका अच्छा प्रतिष्ठान है।
शीला दीक्षित के पूर्व संसदीय सचिव नसीब सिंह, पूर्व विधायक नीरज बसोया, और एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश बिधूड़ी गुर्जर समाज के नेता हैं। उनका अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान रहा है और उनकी पकड़ भी बेहद मजबूत है। साथ ही, जयकिशन शर्मा नजफगढ़ क्षेत्र में भी अपनी पकड़ बनाए रखते हैं और लंबे समय से नगर निगम की राजनीति कर रहे हैं। इन नेताओं के पाला बदलने के बाद, उनके समर्थकों के साथ कई पूर्व पार्षद और ब्लॉक स्तरीय नेता भी भाजपा में शामिल हो गए हैं।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, किसी भी पार्टी के पुराने और प्रमुख पदों पर रहे नेता पार्टी के लिए संपत्ति के समान होते हैं। उनका अनुभव और मार्गदर्शन दोनों ही पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यदि ऐसे नेतृत्व का ध्यान नहीं रखा जाता, तो यह पार्टी के लिए एक संगठनात्मक कमी के रूप में प्रकट हो सकता है।
कुछ प्रदेशीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस बात की चिंता व्यक्त की है कि चुनावी समय चल रहा है, और किसी को विशेष रूप से पहचानना मुश्किल हो सकता है। जून के चारवें तारीख को चुनावी परिणामों के घोषणा होने के बाद, इन नेताओं ने भी पार्टी छोड़ने का विचार किया है, वह भी उन्हें ध्यान में रखने की जरूरत है, जो अभी ‘देखते जाइए और प्रतीक्षा कीजिए’ की नीति पर अमल कर रहे हैं।
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