इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
After Delhi, Now AAP In Punjab : आम आदमी पार्टी (आप) के गठन को भले ही अभी बहुत समय नहीं हुआ है, लेकिन गठन के 10 साल में ही आप ने अपने राजनीतिक करियर में कई बार उतार-चढ़ाव देखे हैं। कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ी या बाहर किए गए और कई राज्यों में दो-दो बार चुनाव लड़ने के बाद भी खाता नहीं खुल सका। दिल्ली में पहली बार सरकार बनाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 49 दिन में इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन उसके बाद फिर से लगातार दो बार दिल्ली में बड़ी जीत के साथ सरकार बनाई।
दिल्ली में तीन बार सत्ता में आने के साथ ही अब आप पंजाब में भी सत्ता में काबिज होने जा रही है। वर्ष 2017 में भी पंजाब में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन आप ने विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल का हक भी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से झटक लिया था। यही नहीं, चंडीगढ़ और सूरत नगर निगम में भी पार्टी बड़ी जीत हासिल कर चुकी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हुए अन्ना आंदोलन से निकलकर आप का गठन 2012 में हुआ था। समाजसेवी अन्ना हजारे और आंदोलन से जुड़े कुछ लोगों का मानना था कि राजनीति में नहीं आना चाहिए, लेकिन आइआरएस अधिकारी रहे अरविंद केजरीवाल व उनके साथ के कुछ लोगों की राय अलग थी और ये राजनीति में आकर राजनीति बदलने की बात कहते हुए आगे बढ़ गए।
एक साल बाद ही 2013 में आम आदमी पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आप दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसे 28 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने उसे बाहर से समर्थन दिया और दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बन गई, लेकिन यह सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल सकी, 49 दिन बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया।
आप ने 2014 का लोकसभा चुनाव देश की 400 सीटों पर लड़ा। केजरीवाल वाराणसी से नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़े। इसके नतीजे अच्छे नहीं रहे। आप के हाथ कुछ नहीं लगा। दिल्ली में भी एक भी सीट नहीं मिली। आप सिर्फ पंजाब में चार सीटों पर जीत दर्ज कर सकी। (After Delhi, Now AAP In Punjab)
इसके बाद आप ने सिर्फ दिल्ली पर फोकस किया और 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की। आप को 70 में से 67 सीटें मिलीं, लेकिन इस बीच पार्टी में अंतर्कलह सामने आने लगी। अप्रैल 2015 में पार्टी के संस्थापक सदस्यों योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण और प्रो. आनंद कुमार को आप से निष्कासित कर दिया गया।
इधर, आप दिल्ली में सत्ता में आई तो काम करने के तरीके को लेकर दिल्ली सरकार का लगातार उपराज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ टकराव हुआ। अप्रैल 2017 में भाजपा ने दिल्ली नगर निगम पर लगातार तीसरी बार कब्जा किया। आप के 271 में से सिर्फ 47 पार्षद जीत सके। 2017 में आप ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा और 117 में से 20 सीटें हासिल कीं। (After Delhi, Now AAP In Punjab)
इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से आप को झटका लगा, जब भाजपा ने फिर से दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीत लीं। इस चुनाव के बाद आप ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। केजरीवाल ने मोदी विरोध लगभग खत्म कर दिया और सिर्फ अपने काम का जिक्र करना शुरू कर दिया। आप ने विधानसभा चुनाव 2020 के लिए नारा दिया- दिल्ली में तो केजरीवाल। अब केजरीवाल हर मुद्दे पर नहीं बोलते हैं, कई मुद्दों पर मोदी सरकार का समर्थन भी करते दिखते हैं। (After Delhi, Now AAP In Punjab)
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