होम / Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy : सौर ऊर्जा पर कई योजनाएं बनने के बावजूद भी आम लोगों को जागरूक नहीं कर पा रही हैं एजेंसियां

Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy : सौर ऊर्जा पर कई योजनाएं बनने के बावजूद भी आम लोगों को जागरूक नहीं कर पा रही हैं एजेंसियां

• LAST UPDATED : April 18, 2022

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :

Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy : सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं। लेकिन इसके बावजूद आम लोगों में इसके प्रति एजेंसियां रूचि नहीं बढ़ा पा रही है। यहां तक कि लोगों छतों पर सोलर पैनल लगवाने को लेकर भी सरकारी एजेंसियां आम जनता को जागरूक नहीं कर पाई हैं। इससे भारत सौ गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के अपने वर्ष 2022 के लक्ष्य से काफी पिछड़ गया है। यह तथ्य जेएमके रिसर्च तथा इंस्टीट्यूट फार एनर्जी इकोनामिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आइईईएफए) की नई रिपोर्ट में सामने आई है।

दिसंबर 2021 तक भारत की सौर ऊर्जा संचय करने की क्षमता थी 55 गीगावाट Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy 

Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy

रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर 2021 तक भारत की सौर ऊर्जा संचय करने की क्षमता 55 गीगावाट थी। इसमें ग्रिड-कनेक्टेड यूटिलिटी-स्केल प्रोजेक्ट्स का योगदान 77 प्रतिशत था। रूफटाप सोलर पैनल से 20 प्रतिशत और मिनी या माइक्रो आफ-ग्रिड प्रोजेक्ट्स से तीन प्रतिशत आ रहा था। साल के चार माह बीतने के बाद 100 गीगावाट के लक्ष्य की लगभग 50 प्रतिशत ही ऊर्जा संचय क्षमता लक्ष्य हासिल किया जा सका है। इसमें 60 गीगावाट यूटिलिटी-स्केल प्रोजेक्ट्स और 40 गीगावाट रूफटाप सौर क्षमता शामिल है।

इस वर्ष लगभग 19 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ने की संभावना

Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy

फिलहाल जो स्थिति हैं इससे यही अनुमान लगाया जा सकता है कि इस साल लगभग 19 गीगावाट सौर क्षमता ही जोड़ी जा सकती है, जिसमें यूटिलिटी-स्केल प्रोजेक्ट्स से 15.8 गीगावाट और रूफटाप सोलर से 3.5 गीगावाट बिजली शामिल है। जिन वजहों से लक्ष्य हासिल करने में बाधा आ रही है। उनमें नियामक बाधाएं, नेट मीटरिंग की सीमाएं, आयातित सेल और माड्यूल पर बेसिक सीमा शुल्क के दोहरे बोझ, माडल और निमार्ताओं की स्वीकृत सूची से जुड़े मुद्दे, अहस्ताक्षरित बिजली आपूर्ति समझौते और बैंकिंग प्रतिबंध आदि हैं।

रिपोर्ट में बताए गए अल्प समय के उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि कम-से-कम अगले पांच वर्षों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर समान नीतियां लागू हों। नेट मीटरिंग और बैंकिंग सुविधाओं के लिए लगातार नियम राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू होनी चाहिए। इतना ही नहीं जब तक राज्यों के रूफटाप और ओपन एक्सेस के लक्ष्य पूरा नहीं हो जाता तब तक अक्षय ऊर्जा की बैंकिंग पर प्रतिबंध रद्द किया जाए। तभी जाकर इस मामले में सकारात्मक तथ्य सामने आ सकेंगे।

रिपोर्ट में बताए गए लंबे समय के उपाय

रिन्युवल परचेज आब्लिगेशन (आरपीओ) को सख्ती से लागू करने होंगे। इसके साथ ही वितरण कंपनियों (डिस्काम) की बेहतर वित्त स्थिति और संभावित निजीकरण के बारे में सोचा जाना चाहिए। कमर्शियल और इंडस्टियल ग्राहकों के लिए क्रास सब्सिडी चार्ज में कमी कर उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए तथा बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) के लिए पूंजीगत सब्सिडी आदि लोगों को सहजता से उपलब्ध कराने होंगे। तब जाकर इसके सार्थक परिणाम आएंगे। (Agencies Are Not Able To Make Aware For Solar Eenergy)

Also Read : Delhi Hanuman Jayanti Violence जुलूस में लोगों ने सरिया, डंडों और तलवारों से हमला किया

Connect With Us : Twitter | Facebook Youtube

 

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT
mail logo

Subscribe to receive the day's headlines from India News straight in your inbox