India News (इंडिया न्यूज़): सरकारी अस्पताल में डॉक्टर काम करने से बचते है, वे चाहते हैं कि जितना कम काम करना पड़े उतना ही अच्छा. इसी समस्या से देश की सबसे प्रसिध्द अस्पताव एम्स भी जूझ रहा था. एम्स प्रशासन के तरफ से इसको ठीक करने के लिए कई बार कदम उठाया गया लेकिन वो कारगर नहीं हो पाया. अब एम्स प्रशासन इस मामले पर काफी कठोर दिख रहा है, एम्स प्रशासन के तरफ से तय किया गया है कि अब डॉक्टरों की कामचोरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
मनमर्जी करते थे डॉक्टर-
एम्स प्रशासन ने निर्णय लिया कि सभी फैक्लटी के फैकल्टी के डॉक्टरों को एक समान काम करना होगा. इस मसले पर एक गाइडलाइन तैयार करने के लिए एम्स प्रशासन ने एक कमेटी गठित की है. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर एम्स के डॉक्टरों से काम लिए जाएंगे. आपको बता दें कि माहौल एसा हो चुका था कि पहले एम्स के कुछ डॉक्टर अपने मन मुताबिक काम किया करते थे. डॉक्टरों की छुट्टी और अन्य काम उनकी मर्जी के उपर डिपेंन्ड होता था.
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एम्स प्रसासन ने उठाया कड़ा कदम-
दरअसल, एम्स में कुछ डॉक्टर हफ्ते में 3 दिन ओपीडी में आते हैं और 50 से 60 मरीज रोजाना देखते हैं, तो कुछ हफ्ते में एक दिन ऑपरेशन करते हैं और सिर्फ दस मरीज देखते हैं. इसी प्रकार एक सर्जन हफ्ते में 3 दिन सर्जरी करते हैं, लेकिन कुछ फैकल्टी हफ्ते में सिर्फ एक ही दिन सर्जरी करते हैं. डॉक्टरों के इस रवैये से एम्स में मरीजों का इलाज प्रभावी तरीके से नहीं हो पा रहा है. इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है.