India News(इंडिया न्यूज़), Air Pollution: वायु प्रदूषण से हो सकता है पार्किंसंस रोग का खतरा। शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन अमेरिका के 2.20 करोड़ लोगों से जुटाए गए आंकड़ों पर किया है, जिसमें मानसिक विकारों से जुड़े कुल 90 हजार मरीजों का चयन किया गया।
हवा में मौजूद प्रदूषण के छोटे-छोटे कण इंसानों में पार्किंसंस रोग का कारण बन सकते हैं। इंसानों में इसका खतरा 56 प्रतिशत तक देखा गया है। अध्ययनों से पता चला है कि पीएम 2.5 या उससे कम आकार के प्रदूषित कण सांस के जरिए मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और फिर मस्तिष्क में सूजन पैदा कर सकते हैं। इससे संबंधित व्यक्ति में पार्किंसंस रोग विकसित हो सकता है।शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन अमेरिका के 2.20 करोड़ लोगों से जुटाए गए आंकड़ों पर किया है, जिसमें मानसिक विकारों से जुड़े कुल 90 हजार मरीजों का चयन किया गया।
इसके बाद उनके घर, आसपास के माहौल और राज्य के बारे में जानकारी जुटाई गई। किसी व्यक्ति के पहले और बाद में सूक्ष्म प्रदूषित कणों के संपर्क में आने के बारे में भी जानकारी एकत्र की गई। इस बीच यह पाया गया कि ओहियो नदी घाटी, मध्य उत्तरी डकोटा, टेक्सास के कुछ हिस्से, कैनसस, पूर्वी मिशिगन और फ्लोरिडा के कुछ हिस्से पार्किंसंस रोग के लिए हॉटस्पॉट थे।
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