India News (इंडिया न्यूज), नई दिल्ली: गर्मी के दिनों जहाँ लोग शुद्ध पेय जल को तरस रहे हैं वहीं अरुण जेटली स्टेडियम के मैदान की सिंचाई के लिए शुद्ध पेय जल यानि भूजल का उपयोग किया जा रहा है। जलशक्ति मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, अरुण जेटली स्टेडियम में नियमों को ताक में रख कर बोरवेल से भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है। जल मंत्रालय की टीम ने निरीक्षण किया तो पाया कि देश के 26 में से 20 स्टेडियमों में भूजल दोहन के लिए बोरवेल या ट्यूबवेल का उपयोग किया जा रहा है। मिले जानकारी के अनुसार अरुण जेटली स्टेडियम में भूजल दोहन के लिए तीन बोरवेल का उपयोग कर मैदान को हराभरा रखा जाता है।
17 जुलाई को केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने बीसीसीआइ व दिल्ली सहित अन्य राज्यों के किक्रेट संघों की बैठक बुलायी। बैठक में सभी पक्षों से एनजीटी के नियमों के तहत जल्द व्यवस्था करने के लिए कहा। स्टेडियम में वर्षा जल को संचयन, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और बोरवेल के लिए स्थानीय निकाय से अनापत्ति प्रमाणपत्र पर सभी पक्षों से 20 अगस्त तक जवाब मांगा गया है। अरुण जेटली स्टेडियम में वर्षों से चल रहे तीनों बोरवेल को लेकर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से भी अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) नहीं मिला है। स्टेडियम के मैदान को हराभरा रखने के लिए प्रतिदिन औसतन 100 किलोलीटर पानी की आवश्यकता होती है। सीजीडब्ल्यूए के जवाब मांगने के तुरंत बाद ही दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (DDCA) ने डीजेबी से एनओसी मांगी है। केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण के एक्शन में आते ही आनन-फानन में एसटीपी लगवाने के लिए डीडीसीए ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। डीडीसीए के बताने के अनुसार, एसटीपी की क्षमता प्रतिदिन 100 किलोलीटर जलशोधन की होगी। साथ ही डीडीसीए ने अपनी सफाई रखते हुए कहा कि स्टेडियम की स्थापना 1883 में हुई और वर्षों पहले इसमें बोरवेल का इंतजाम किया गया था, तब तक भूजल को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं थे,और बताया हमारे पास जलापूर्ति का और कोई साधन नहीं है, ऐसे में हमें बोरवेल पर निर्भर रहना पड़ता है।
डीडीसीए के अंतरिम सीईओ व महाप्रबंधक आरआर सिंह ने बताया कि वर्षा जल संचयन के लिए स्टेडियम में पर्याप्त व्यवस्था है। तीनों बोरवेल के लिए डीजेबी को पत्र लिखा गया है,और जानकारी साझा करते हुए कहा कि फिलहाल एक एसटीपी लगाने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। डीजेबी का जवाब आने के बाद सीजीडब्ल्यूए को रिपोर्ट देने को कहा।
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