India News Delhi (इंडिया न्यूज), Arvind Kejriwal: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनावी प्रचार के लिए बाहर हैं, लेकिन अंतरिम जमानत पर हैं। दो जून को उन्हें फिर से तिहाड़ जाना होगा। इस दौरान उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने की अनुमति नहीं है। ईडी ने 21 मार्च को नई आबकारी नीति घोटाले के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया था। जेल जाने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है।
आम आदमी पार्टी का दावा है कि जेल से दिल्ली सरकार चलेगी, जबकि भाजपा इसे विरोध कर रही है। उनका कहना है कि केजरीवाल के इस्तीफा नहीं देने से दिल्ली में प्रशासनिक संकट है, जिससे कई काम बाधित हो रहे हैं। भाजपा के प्रत्याशियों के साथ ही अमित शाह, राजनाथ सिंह, और अन्य बड़े नेता भी इस मुद्दे को चुनावी मंच से उठा रहे हैं।
दिल्ली सरकार के पास 14 फरवरी 2015 से 12 अप्रैल 2024 तक 3,060 लंबित फाइलें हैं। मुख्यमंत्री के पास अकेले 420 लंबित फाइलें हैं, जिनमें से 23 इस वर्ष की हैं।
मार्च और अप्रैल महीने में विभिन्न विभागों को भेजी गई 16 फाइलें स्वीकृति की राह देख रही हैं। दिल्ली महिला आयोग के पुनर्गठन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना, दिल्ली खेल नीति, बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के पुनर्गठन जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ी फाइलों को स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने 10 अप्रैल को मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था। उन्होंने इस्तीफा डाक के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजा था। लेकिन मुख्यमंत्री के अनुपस्थिति के कारण, लगभग डेढ़ महीने से उनका इस्तीफा प्रस्तुत रहा है। वे मंत्रालय के कार्य को भी नहीं देख रहे हैं। इस रूप में, समाज कल्याण विभाग का महत्व बिना मुखिया के अप्रत्याशित तौर पर बढ़ गया है।
उपराज्यपाल ने अप्रैल के पहले पखवाड़े में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के मंत्रियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। उन्होंने उन मंत्रियों के खिलाफ उनके पद को बदनाम करने और झूठ बोलने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट से जुड़े मामलों के मामले मुख्य सचिव और उपराज्यपाल के सामने प्रस्तुत किए जाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न होने के कारण, 26 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव नहीं हो सका। उपराज्यपाल के सुझाव पर पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की जाती है, लेकिन मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण यह काम संभव नहीं हुआ।
इस अवस्था में, महापौर डॉ. शैली ओबेराय का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। नियम के अनुसार, इस बार अनुसूचित जाति के पार्षद महापौर बनता है। अभी तक निगम में स्टैंडिंग समिति का गठन नहीं होने से जरूरी कार्य भी बाधित हो रहे हैं। निगमायुक्त के पास पांच करोड़ रुपये तक की व्यय शक्ति है। कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने के लिए मशीनों की संख्या बढ़ाने और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों के लिए टेंडर नहीं हो सके हैं।
प्रदेश भाजपा महामंत्री और पूर्वी दिल्ली से पार्टी के प्रत्याशी हर्ष मल्होत्रा ने उठाए जाने वाले सवालों का समाधान दिलाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के जेल जाने से दिल्ली के महत्वपूर्ण कामों में रुकावट आ गई है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा उपाध्यक्ष के रूप में उनके पद पर बने रहने के अधिकार को नकारा। सरकारी फाइलों की गोपनीयता के कारण, वह जेल से सरकार का प्रबंधन नहीं कर सकते हैं, क्योंकि कोई भी कागज बिना जेल अधिकारियों के देखे उन तक नहीं पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि जरूरी कार्य रुके हैं और इसके जिम्मेदार केवल केजरीवाल हैं। इसके बावजूद, उन्हें इसकी जानकारी होती है, फिर भी वे इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। उनका यह कदम दिल्लीवासियों को परेशान करने का एक षड्यंत्र है।
दिल्ली सरकार के मंत्री और नई दिल्ली से बसपा प्रत्याशी राजकुमार आनंद ने साझा किया कि वे दिल्ली में हो रहे कामों पर सवाल उठाना चाहते हैं। उनके अनुसार, सीवर और पानी की समस्या गंभीर हो रही है और सड़कों की हालत भी खराब है। अस्पतालों में दवाओं की कमी है और अनुसूचित जाति के बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। वे इसे धोखा मानते हैं कि अनुसूचित जाति के लोगों के लिए आवंटित फंड को अन्य कामों में खर्च किया जा रहा है। इसके विरोध में उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अब तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।
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