India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Asha Kiran Shelter Home: दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। सरकार द्वारा संचालित इस शेल्टर होम में मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग रहते हैं। इस शेल्टर होम में बड़ी संख्या में लोगों के मरने की खबर ने हड़कंप मचा दिया है। इस मामले पर राजनीति भी शुरू हो गई है। यह बात सामने आई है कि शेल्टर होम में मौतों का एक कारण स्टाफ की भारी कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इस शेल्टर होम में क्षमता से दोगुने कैदी हैं, लेकिन यहां स्टाफ के कई पद अभी भी खाली हैं।
एलजी के आदेश के बाद समाज कल्याण विभाग ने 5 अगस्त 2013 को पदों के सृजन के लिए अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया था कि आश्रय गृह में करीब 391 कर्मचारी होने चाहिए। इनमें 10 मेडिकल कर्मचारी (डॉक्टर सहित), 249 नर्स और 62 एएनएम (सहायक नर्स और दाइयां) शामिल हैं। आज यहां सिर्फ छह मेडिकल कर्मचारी, 17 नर्स और 53 एएनएम हैं। समाज कल्याण निदेशक ने इसकी पुष्टि की है। ये 1000 से ज्यादा कैदियों की देखभाल करते हैं। समाज कल्याण निदेशक द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आश्रय गृह में पुरुष और महिला कैदियों के लिए 10-10 शयनगृह हैं। इसकी क्षमता करीब 500 है।
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नाम न बताने की शर्त पर स्टाफ के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि यहां क्षमता से दोगुनी संख्या में कैदी रखी जा रहे हैं, जबकि स्टाफ की संख्या बहुत कम है। इसका मरीजों पर क्या असर पड़ता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि ये मरीज पूरी तरह से अपने तीमारदारों पर निर्भर हैं। कर्मचारी ने बताया कि “स्टाफ की कमी से मेडिकल स्टाफ को काम करने में दिक्कत होती हैं। शेल्टर होम में काम करने वाली एक नर्सिंग अटेंडेंट ने बताया कि “पिछले कुछ सालों में कई मेडिकल और केयर स्टाफ सैलरी मिलने में देरी की वजह से शेल्टर होम छोड़कर चले गए हैं, जो अब चार महीने लेट हो गई है। उनके पद कभी भरे ही नहीं गए।
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