Delhi

Baby Care Hospital Delhi: जांच में खुलेंगे कई राज, जानिए बेबी केयर अस्पताल अग्निकांड मामले पर पुलिस का पूरा प्लान

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Baby Care Hospital Delhi:  विवेक विहार क्षेत्र में स्थित बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद पुलिस अब भी घटना की जांच में सक्रिय रह रही है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उनका पूरा फोकस उन खामियों को लेकर है, जिनके बावजूद अस्पताल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी यह अग्निकांड हुआ।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये गलतियां जानबूझकर की गई थीं, जिससे किसी की भी जान जोखिम में आई। उन्होंने इस घटना के पीछे छिपी हुई गलतियों को प्रकट करने का वादा किया है। यह कदम हमले को ‘गैर इरादतन हत्या’ (धारा 304) और ‘गैर इरादतन हत्या का प्रयास’ (धारा 308) के तहत कानूनी कार्रवाई के लिए और सुधार के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

Baby Care Hospital Delhi: जानबूझकर कर की गयी थी गलतियां

बेबी केयर न्यू बोर्न चाइल्ड अस्पताल में हुए अग्निकांड के मामले में पुलिस अब भी कड़ी जांच के तहत कार्रवाई कर रही है। पुलिस अफसरों ने बताया कि अस्पताल के मालिक ने जानबूझकर कई गलतियां की थीं, जिसकी वजह से अस्पताल में भर्ती बच्चों की जिंदगी खतरे में आई।

आग लगने से सात बच्चों की मौत हो गई, जबकि पांच नवजात बच्चे मौत के आगे हार गए। जांच में सामने आया कि डॉ. नवीन खिची और डॉ. आकाश जैसे डॉक्टर्स आग के समय ड्यूटी पर तैनात थे, लेकिन अस्पताल के नियमों और सुरक्षा के प्रति उनकी लापरवाही कारण बनी। पुलिस ने डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DGHS) से अस्पताल के लाइसेंस जारी करते समय लगाई गई शर्तों की कॉपी मांगी है। इसके बाद वह अगले कदम की तैयारी में है। जांच के प्रक्रिया में अस्पताल के संबंधित अधिकारियों को भी सम्मिलित किया जा रहा है।

अस्पताल में कई गंभीर लापरवाहियों का सामना किया जा रहा है, जिसके चलते पुलिस जांच के दौरान इसकी ओर ध्यान केंद्रित कर रही है। पुलिस अफसरों ने खुलासा किया कि अस्पताल ने कई शर्तों का उल्लंघन किया था। जानकारों के मुताबिक, जहां सिर्फ पांच बच्चों को ही भर्ती करने की इजाजत थी, वहां अग्निकांड के समय अस्पताल में 12 बच्चे थे।

शर्तों का हुआ है उलंघन

इसके साथ ही, अस्पताल में डॉक्टरों की अवस्था भी संदिग्ध है। वहां केवल तीन डॉक्टर्स बीएएमएस के थे, जबकि एक्सपर्ट्स की मौजूदगी की जरूरत थी। नर्स और अन्य स्टाफ की भी कमी थी, जो कि मरीजों की देखभाल में असमर्थता का कारण बनी।

अस्पताल का लाइसेंस भी 31 मार्च को समाप्त हो गया था, और इसके बावजूद आवश्यक सुरक्षा उपकरण और आवश्यक सामग्री की कमी थी। जांच के मुताबिक, इमरजेंसी गेट बंद था, और उसके पीछे संचित सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया था। अस्पताल में ग्राउंड फ्लोर पर 32 ऑक्सिजन सिलेंडर रखे गए थे, लेकिन उनमें से पांच सिलेंडर फट गए थे। इससे यह संदेह है कि क्या ये सिलेंडर सही तरीके से रिफिल किए गए थे या नहीं। इसकी भी जांच अभी जारी है।

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Kirti Sharma

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