जस्टिस बोपन्ना ने कहा, जहां तक दिल्ली की बात है। इस साल किसी भी हालत में प्रतिबंध है। लेकिन चिंता यह है कि अगर प्रतिबंध है तो ऐसा कैसे होता है? इसका जवाब देना होगा। पीठ ने दिल्ली पुलिस को इस संबंध में अपनी कार्ययोजना से गुरूवार को दोपहर 3 बजे अदालत में अपना जवाब पेश करने को कहा है। शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि हर साल पटाखा निर्माता आते हैं और कहते हैं कि हमारे पास काम नहीं है, लेकिन वह फिर भी बिक्री करते हैं। वह हमेशा निर्देशों को पालन नहीं करते और फिर अदालत में आकर गुहार लगाते हैं कि इस साल पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है उनके साथ ये चीज हर साल ठीक नहीं होता है।
शंकरनारायणन ने दिल्ली के चिंताजनक वायु प्रदूषण स्तर पर रिपोर्ट पढ़ा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामले ज्यादा आने लगे है। शंकरनारायणन ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि जब वह एनसीआर इलाकों के बच्चों के फेफड़ों का ऑपरेशन करते हैं तो वह ग्रे होता है जबकि उसे चमकीला गुलाबी होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी दिल्ली एनसीआर समेत कुछ राज्यों में पटाखों की ब्रिकी पर पूरी तरह लगी रोक में दखल देने से इनकार कर दिया है। मनोज तिवारी की ओर से वकील शंशाक शेखर झा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मामला उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर जैसे कुछ राज्यों ने पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। ग्रीन पटाखों की भी इजाजत नहीं है।
देश में पटाखों पर बैन लगाने के मामले में केंद्र सरकार की तरफ से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने जो प्रोटोकॉल बनाया है उसे सभी पक्षों को दिया जा चुका है। इसके मुताबिक सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री की इजाजत की बात कही गई है। एएसजी ने कहा कि ग्रीन पटाखों के लिए रिसर्च और परीक्षण में राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आगे कहा कि पटाखों की क्वालिटी कंट्रोल सुनिश्चित करने के लिए उत्पादों की क्यूआर कोडिंग लागू की गई है। हम ट्रैनिंग और स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम चला रहे हैं। अब तक 1000 से अधिक निर्माताओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। हर तीन साल में एक टेक्निकल कमेटी द्वारा उत्सर्जन के मानकों की समीक्षा की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अभी दिल्ली एनसीआर समेत कुछ राज्यों में पटाखों की ब्रिकी पर पूरी तरह लगी रोक में दखल देने से इनकार कर दिया है। मनोज तिवारी की ओर से वकील शंशाक शेखर झा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मामला उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली एनसीआर जैसे कुछ राज्यों ने पटाखों पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। ग्रीन पटाखों की भी इजाजत नहीं है। दिल्ली में पटाखों पर लगे बैन पर सियासत तेज है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार के फैसले पर ‘सुप्रीम’ मुहर लग गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पटाखों पर लगे बैन के खिलाफ भाजपा नेता मनोज तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया है। SC ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए इनकार कर दिया और मनोज तिवारी को नसीहत देते हुए कहा कि जहां पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध नहीं हैं वहां जाकर पटाखे छोड़ सकते हैं।
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