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भलस्वा लैंडफिल की आग बनी खतरा, लोगो को सांस में हो रही तकलीफ

• LAST UPDATED : April 29, 2022

इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :

भलस्वा लैंडफिल साइट की आग स्थानीय लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई है। पिछले 72 घंटों में अब तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। रूक-रूककर कूड़े के पहाड़ से आग की लपटें उठते ही जा रही हैं। हालत यह है कि दिल्ली में धूल और धुएं की चादर को कई किलोमीटर की दूरी से देखी जा सकती है। इस वजह से पूरे दिल्ली-एनसीआर में भलस्वा लैंडफिल के आसपास की हवा की सेहत सबसे खराब है। लोगों को आंखों में जलन के साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां शुरू हो गई हैं।

दिनभर लोगों को आंखों में जलन के साथ सांस लेने में तकलीफ

दिल्ली में वायु गुणवत्ता पर निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 36 निगरानी केंद्र बनाए जा चुके हैं। इसमें से दिल्ली के तीनों कूड़ों के पहाड़ भलस्वा, ओखला और गाजीपुर के निकट इलाकों में भी निगरानी केंद्रों को रखा गया है। भलस्वा लैंडफिल साइट के बिल्कुल पास जहांगीरपुरी और अलीपुर निगरानी केंद्र हैं।

Bhalswa landfill fire became a threat

 

आग लगने के दो दिनों के अंदर ही दोनों निगरानी केंद्रों पर हवा की सेहत खराब होने की खबर पहुंच गई। जहां बुधवार तक जहांगीरपुरी में 296 एक्यूआइ के साथ हवा सिर्फ खराब श्रेणी में थी जो कि बृहस्पतिवार तक आते आते 343 एक्यूआइ के साथ बेहद खराब श्रेणी तक पहुंच गई। वहीं, अलीपुर में बुधवार तक जहां हवा का एक्यूआइ 219 था, वह बृहस्पतिवार तक 318 एक्यूआइ पहुंचा। इसी कारण से दिनभर लोगों को आंखों में जलन के साथ सांस लेने में तकलीफ हुई।

खराब हवा के कारण लोग छोड़ रहे घर

Bhalswa landfill fire became a threat

इलाके की आबोंहवा खराब होने से लोगों की सेहत पर इस कदर पड़ा है जिससे लोग यहां से जाने को मजबूर हो रहे हैं। इलाके में 35 वर्षों से रहने वाले जवाहर आरोप लगाकर बोले कि उनकी किडनी यहां का गंदा पानी पीकर खराब हो चुकी है। इसी कारण उन्हें मजबूरन 2016 में किडनी का प्रत्यारोपण कराना पड़ा। लैंडफिल साइट से उठे धूल व दुर्गंध के कारण सांस लेने में परेशानी के कारण दो किलोमीटर दूर कमरा बनवा लिया है।

समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन से शिकायत की

भलस्वा लैंडफिल की आग बनी खतरा

पिछले 23 वर्षों से इलाके में रह रहे अखिलेश ठाकुर बताते है कि उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि कुछ सालों में यह कूड़े का पहाड़ खत्म हो जाएगा, लेकिन सरकारें आई और गई, लेकिन आज भी यह पहाड़ लोगों का दम घोंटने मे कोई मौका नहीं छोड़ता। स्थानीय दुकानदार चंद्रेश्वर बताते हैं कि बहुत बार इस समस्या को लेकर स्थानीय प्रशासन से शिकायत की, लेकिन हर बार की तरह सिर्फ आश्वासन की फाइल ही हाथों में आई।

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