India News(इंडिया न्यूज़)Bharat Mandapam: जी-20 के शिखर सम्मेलन में दुनिया के इतिहास से महमानों को रूबरू कराया जाएगा। महमानों को भारत की हजारों साल पुरानी कला, संस्कृति, शिल्प, विरासत, परंपरा, धरोहर से रूबरू होगी। विदेशी मेहमानों को भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति की झलक के साथ यहां प्रौद्योगिकी व तकनीक का बेजोड़ मेल से प्रस्तुत कराया जाएगा। यहां कलाकार भारत की कला,संस्कृति, स्थानीय खानपान से भी रूबरू कराया जा रहा है।
दर्शकों को कश्मीर की 15वीं सताब्दी की चटकीले रंग वाली पेपर मेशे पेटिंग, चिनार की पत्तियों वाली कशीदाकारी, पंजाब की फुलकारी, हिमाचल प्रदेश का 16वीं शताब्दी का चंबा रूमाल, यूपी की नक्काशी, गुजराती काठियावाड़ कढ़ाई,पश्चिम बंगाल की कांथा वर्क, मणिपुर की कौना टोकरी, तमिलानाडु के चोल वंश की तंजावुर चित्रकला व कांजीवरम सिल्क साड़ी, गुजरात का लिप्पन आर्ट, बिहार की मधुबनी पेटिंग, मध्य प्रदेश व गुजरात की पेथोरा पेटिंग दिखाई जा रही है। यहां सभी राज्य अपनी संस्कृति, कला, शिल्प को दुनिया के समक्ष ‘ एक जिला-एक उत्पाद ’ को दिखा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश पवेलियन में विदेशी मेहमानों को अयोध्या नगरी में ‘भगवान श्रीराम’ के साथ मुरादाबाद की नक्काशी से रूबरू कराया जाएगा। यहां पर भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की बेहद ही खूबसूरत झांकी देखने को मिलेगी। यहां दो किलो वजन का आठ ईंच नक्काशी वाला पीतल का मटका एक लाख रुपये की कीमत का है। यहां पर विदेशी मेहमानों को नक्काशी वाले बर्तन खरीदने का मौका मिलेगा, जिसकी कीमत 50 हजार से एक लाख रुपये तक हैं।
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश भी विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए जी- 20 शिखर सम्मेलन में स्वागत के लिए पहुंच गए है। हिमाचली दुल्हन ‘कुल्लू के देवता की झांकी‘ , नगाड़ा आदि पारंपरिक वाद्ययंत्र के अलावा 5000 साल पुरानी हिमाचल की कुल्लू शाल भी मिल रही है। यहां पर दिनेश कुमारी द्वारा तैयार ‘चंबा रूमाल’ प्रदर्शित किया गया है, जिसकी कीमत एक लाख रुपये से अधिक है। इस रूमाल में मोर,श्रीकृष्ण,गणपति, पत्तियों को बेहद ही सिल्क के धागे से कढ़ाई से किया गया है।
पंजाब पवेलियन में विदेशी मेहमानों को विश्व प्रसिद्ध फुलकारी को बनाने की कला से लाइव रूबरू किया जा रहा है। सात साल की उम्र से सूती और रेशम के कपड़ें पर रेशम के धागे से फुलकारी बनाती लाजवंती कहती हैं कि जी 20 के इस मंच पर उन्हें अपने हुनर को प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है।
हरियाणा के हिसार स्थित राखीगढ़ी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई के दौरान मिले ‘सिंधु-सरस्वती’ सभ्यता से मिलते-जुलते मिट्टी के बर्तनों को दिखाया जा रहा है। यहां दर्शाया गया है कि हजारों वर्ष पहले उस जमाने में लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाते थे। इसका मकसद विदेशी मेहमानों को भारतवर्ष की सबसे प्राचीनतम ”” सिंधु-सरस्वती ””सभ्यता के बेहतर सिविलाइजेशन से रूबरू कराया जा रहा है।
देवभूमि और पहाड़ी राज्य उत्तराखंड विदेशी मेहमान भगवान केदारनाथ-बद्रीनाथ के दर्शन करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा पहाड़ी मसालों से तैयार चाय भी खास है। सर्दी, जुकाम, बुखार में इस चाय का एक कप राहत देने वाला होता है। इसके अलावा उन्हें पहाड़ी दुल्हन के रूप में कुमाऊंनी दुल्हन देखने को मिलेगी। पारंपरिक वेशभूषा में तैयार कुमाऊंनी दुल्हन उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति, कला को खूबसूरती से पेश किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के कश्मीर की की 15वीं शताब्दी की चटकीले रंग वाली पेपर मेशे पेटिंग का लाइव डेमो दिया जा रहा है। उधर, लद्दाख अपनी जीआई टैग आधारित जटिल डिजाइन, अद्वितीय पैटर्न पर आधारित काष्ठ नक्काशी पेश कर रहा है। विदेशी मेहमानों को केंद्र शासित प्रदेशों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बहुत अच्छा लगेगा। यहां कला, संस्कृति के साथ-साथ याक की ऊन से तैयार शुद्ध पशमीना को शो केस किया गया है।
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