इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : ताजमहल को तेजो महल बताने वाले व कुतुब मीनार को विष्णु स्तंभ की संज्ञा देने वाले महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने नूपुर शर्मा के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चलाने का मुहिम शुरू कर दी है। महाराणा प्रताप सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगाकर नूपुर शर्मा के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं।
हालांकि स्वयं राजवर्धन सिंह परमार जब इस अभियान में शामिल होने जा रहे थे उनके अनुसार पुलिस बल ने उन्हें जाने से रोक दिया, जिसकी वजह से वह कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पाए। नूपुर शर्मा के मामले पर भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि नूपुर शर्मा के समर्थन में महाराणा प्रताप सेना द्वारा चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान का मैं समर्थन करता हूं। वहीं उन्होंने कहा कि नूपुर शर्मा ने जो बातें कही हैं वह हदीस में लिखी गई है। उन्होंने जो कुछ कहा है वह हदीस के अनुसार कहा है। इससे किसी भी मुसलमानों को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के बारे में एक भी अपशब्द नूपुर शर्मा ने नहीं कहा है।
उन्होंने कहा कि नूपुर शर्मा को झूठे ही इस मामले में फंसाने की कोशिश की जा रही है। महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि नूपुर शर्मा का समर्थन महाराणा प्रताप सेना का हर पदाधिकारी और कार्यकर्ता करता है। पूरे देश में उनको जहां भी महाराणा प्रताप सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होगी, वहां पर महाराणा प्रताप सेना के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उनकी रक्षा और सुरक्षा में शामिल होंगे। राजवर्धन सिंह परमार ने इस मौके पर उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ललित नारायण चौधरी को महाराणा प्रताप सेना का राष्ट्रीय प्रधान महासचिव नियुक्त किया है। परमार ने उन्हें यह जिम्मेदारी उनके कार्यों को देखते हुए दिया है।
संगठन उनसे अपेक्षा की है कि उत्तर प्रदेश में महाराणा प्रताप सेना के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की संख्या गांव, जिले स्तर पर बढ़नी चाहिए और राष्ट्रवादी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने का काम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को बाहरी शक्तियों से खतरा नहीं है बल्कि देश के अंदर छिपे हुए देश के दुश्मनों से खतरा है। उन्होंने कहा कि देश के अंदर बैठे दुश्मनों के मंसूबे महाराणा प्रताप सेना कभी भी पूरे नहीं होने देगी।