इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने बुधवार को एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पर करारा कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना आजादी के पहले देश को बर्बाद करने का काम किया। वहीं काम आजादी के बाद ओवैसी कर रहे है। भाजपा सांसद हरनाथ यादव ने स्पष्ट रूप से कहा कि ओवैसी देश को बर्बाद करने का वही काम कर रहे हैं, जो जिन्ना ने आजादी से पहले सुनियोजित तरीके से किया था लेकिन भारत की जनता उनके इस रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगी और इस तरह की हरकतों को होने नहीं देगी। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि ओवैसी मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले मंगलवार को ओवैसी ने महंगाई, ईंधन की कीमतों और बेरोजगारी के लिए मुगलों को जिम्मेदार ठहराते हुए भारतीय जनता पार्टी पर कटाक्ष किया था। पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने चुटकी ली कि प्रधानमंत्री किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं है। इसके बजाय ओवैसी ने औरंगजेब, अकबर और शाहजहां पर जिम्मेदारी डाल दी है। ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि मेरा मानना है कि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के लिए मुगल जिम्मेदार हैं। इसके लिए औरंगजेब जिम्मेदार है। अकबर महंगाई के लिए और शाहजहां बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है। मेरा यही मानना है। ये सभी जिम्मेदारियां मुगलों पर जाती हैं। प्रधानमंत्री किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
ओवैसी ने ‘मदरसा’ वाली टिप्पणी के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर भी निशाना साधा। ओवैसी ने दावा किया कि मुसलमानों और इस्लाम के लिए भगवा पार्टी की ‘घृणा’ खुले में थी। यह एक हीन भावना है। वह इस तरह बकवास बोलता है। क्या राजा राम मोहन राय एक शाखा या मदरसे में पढ़ते थे? दोनों के बीच अंतर यह है कि हम मानवता, शांति और प्रेम सिखाते हैं। वे नहीं कर सकते कि इसे समझें। वहां विज्ञान और गणित भी पढ़ाया जाता है और हमने भारत को और सुंदर बनाया है। ओवैसी ने हाल ही में राम मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत के बयानों को याद करते हुए उच्चतम न्यायालय से ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर ‘बात पर चलने’ का अनुरोध किया था।
ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को दीवानी न्यायाधीश से जिला न्यायाधीश को स्थानांतरित करने के शीर्ष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। ओवैसी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति देने के लिए कहा है, तो इसमें तालाब से वजू भी शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि जब तक व्यक्ति ‘वजू’ नहीं करता, तब तक कोई नमाज नहीं पढ़ सकता है।
वजू एक धुलाई और सफाई की रस्म है जो नमाज अदा करने से पहले की जाती है। फव्वारा संरक्षित किया जा सकता है, लेकिन तालाब खुला होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य के विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम 1991 बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर की सुनवाई के दौरान कहा कि अधिनियम संविधान के मूल ढांचे का एक हिस्सा है। अदालत को इस कानून पर चलना चाहिए। लेनिक अब देखा जाना बाकी है कि इस मामले पर आगे क्या होने वाला है।