इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली :
पूरे देश में इस वक्त भीषण गर्मी के प्रकोप के चलते बिजली की मांगे बढ़ते जा रही है। बढ़ते बिजली के मांग के कारण राज्यों में घंटो तक बिजली का कट भी लगाना पड़ा रहा है। इस विषय में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के प्रबंध निदेशक विकास कुमार ने बीते मंगलवार को कहते है कि मेट्रो वर्तमान समय में न किसी बिजली संकट का सामना कर रही है और ना बिजली की चरम मांग बढ़ने के बाद भी इसे समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. “मेट्रो अपने रूफटॉप सौर संयंत्रों के जरिए 140 मेगावाट बिजली प्राप्त करता है और इसकी आपातकालीन बैकअप योजनाएं भी हैं।
DMRC के एमडी के रूप में गद्यी संभालने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए विकास कुमार बताते है कि दिल्ली-एनसीआर में दिल्ली मेट्रो के संचालन के लिए प्रति दिन लगभग 3 मिलियन यूनिट (MU) विद्युत ऊर्जा खर्च होती है। देश को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के डिस्कॉम से तकरीबन 2 एमयू बिजली की प्राप्ति होती है, इसके साथ डीएमआरसी अपने ऑफ़-साइट सौर संयंत्र के जरिए से 99 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होती है।
मेट्रो स्टेशनों और डिपो पर स्थापित रूफटॉप सौर संयंत्रों से 50 मेगावाट बिजली उत्पन्न हो जाती है। इसलिए, हम केवल 50 प्रतिशत डिस्कॉम पर ही निर्भर हैं। ऑफ़-साइट सौर ऊर्जा संयंत्र द्वारा खुली पहुंच के माध्यम से लगभग 0.9 एमयू बिजली की प्राप्ती होती है, और 0.1 एमयू दिल्ली मेट्रो के स्टेशनों और डिपो में लगे रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्रों से ली जाती है।
दिल्ली की मेट्रो बिजली पर निर्भर है और अगर कंपनियों से बिजली बंद होती है तो दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन डीएमआरसी को बिजली अलग-अलब स्रोतों और इंटरचेंज स्रोतों से मिलती है। इसके अलावा, हमारे पास आपातकालीन स्थितियों के लिए डीजल जनरेटर सेट भी मौजूद हैं।
हम केवल रात के समय जारी सेवाओं और संचालन के लिए डिस्कॉम पर ही निर्भर हैं। अगर पूरी तरह से ब्लैकआउट होता है फिर भी, लाइटिंग, एयर कंडीशनिंग, लिफ्ट और एस्केलेटर, अग्निशमन भार आदि काम करेंगे और केवल ट्रेनों को रोका जाएगा।