India News(इंडिया न्यूज़), Breast Cancer: वायु प्रदूषण के कारण हर 9वां व्यक्ति कैंसर से पीड़ित हो सकता है। दुनियाभर में ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। दूसरी ओर, इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि महिलाओं में स्तन कैंसर के तेजी से फैलने का एक कारण वायु प्रदूषण भी हो सकता है। वायु प्रदूषण से न केवल स्तन कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है बल्कि पीएम 2.5 और पीएम 10 कण भी बढ़ते हैं जो समय से पहले दिल का दौरा और स्ट्रोक से मौत का कारण बन सकते हैं।
शोध में भी इस बात पर सहमति जताई गई है कि वायु प्रदूषण भविष्य में स्तन कैंसर के खतरे को कैसे बढ़ा देता है। हमें इस पर अधिक से अधिक शोध करने की जरूरत है।’नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट’ के जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक उन लोगों में कैंसर का खतरा 8 प्रतिशत तक बढ़ गया है। जो 2.5 उच्च पीएम वाले क्षेत्र में रहते हैं। शोध में यह बात भी सामने आई है कि 20 साल के शोध में 5 लाख महिलाओं और पुरुषों पर यह शोध किया गया। जिसमें पाया गया कि ब्रेस्ट कैंसर के 15 हजार 870 मामले पाए गए।
ऐसे कई शोध हैं जिनमें साफ तौर पर माना गया है कि पीएम 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कुछ कार्बनिक गैसों के कारण वायुमंडल में कई तरह की रासायनिक प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। जो बीमारी और अकाल मृत्यु का कारण बन रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 1965 और 1985 के बीच भारत में स्तन कैंसर की घटनाओं में 50% की वृद्धि हुई। 2020 के ग्लोबोकैन डेटा के अनुसार, भारत में सभी कैंसर के मामलों में स्तन कैंसर 13.5% था। अध्ययनों का अनुमान है कि वर्ष 2030 तक स्तन कैंसर की वैश्विक घटना 20 लाख से अधिक होने की उम्मीद है।
स्तन में गांठ कई कारणों से बन सकती है। जिसमें कैंसर भी शामिल है। हालाँकि, कई गांठें कैंसर रहित होती हैं। स्तन में दो प्रकार की गांठें होती हैं। एक फ़ाइब्रोसिस्टिक और दूसरा सिस्ट। फ़ाइब्रोसिस्टिक गांठें कैंसर रहित होती हैं। यह गांठ मुलायम और दर्द रहित रहती है। सिस्ट वाली गांठ तरल से भर जाती है और धीरे-धीरे स्तन में विकसित होने लगती है।
स्तन कैंसर के अलग-अलग लोगों में अलग-अलग लक्षण होते हैं।
कुछ लोगों में तो शुरुआती लक्षण दिखाई ही नहीं देते।
स्तन में या उसके बगल में नई गांठ।
स्तन की त्वचा में जलन या अवसाद। स्तन के आकार या आकृति में परिवर्तन।
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