इंडिया न्यूज, गुरुग्राम। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग के गुरुग्राम कार्यालय की ओर से फर्जी बिलों पर 15 करोड़ रुपये का रिफंड जारी करने तथा दो सीए की गिरफ्तारी को लेकर द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आफ इंडिया के गुरुग्राम चैप्टर ने शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सीए सेक्टर-32 स्थित सीजीएसटी भवन से एक जुलूस निकाला तथा विभिन्न रास्तों से होते कोर्ट तक पहुंचे।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि चार-पांच कारोबारियों ने मिलीभगत करके कुछ माह पूर्व बिना कोई कारोबार किए ही फर्जी बिलों के आधार पर 15 करोड़ रुपये का रिफंड लेकर घपला किया। इस मामले की शिकायत केंद्रीय वित्त मंत्रालय से की गई। मंत्रालय के आदेशों पर विभाग ने जब जांच की तो पूरी सच्चाई सामने आ गई। इसके बाद कारोबारियों के कागजात को सत्यापित करने वाले सीए गौरव व सुनील के खिलाफ विभाग की ओर से केस दर्ज करवाकर गिरफ्तार करवा दिया गया।
जैसे ही यह जानकारी सीए एसोसिएशन को लगी तो उन्होेंने मेदांता मेडिसिटी के सामने स्थित सीजीएसटी भवन पहुंचे। लेकिन विरोध के बावजूद अधिकारियों द्वारा कई सीए को एक कमरे में बंधक बनाया गया। बंधक बनाए जाने के विरोध में सीए ने कहा इस पूरे मामले में विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया है। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी राशि कुछ ही घंटे में जारी कर देना सवाल खड़े करता है।
मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने जिस खाते में पैसा ट्रांसफर किया, उसे सीज कराने की बजाय सीए को फंसाने की रणनीति बनाने में लगे हुए है। जो सरासर गलत है। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जिस खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया था उस खाते से सारा पैसा निकाल लिया गया है। कार्रवाई गलत करने वालों पर होनी चाहिए। लेकिन मामले को दबाने के लिए सीए पर कार्रवाई दिखाकर मामले को टालने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सीए का काम केवल कागजात को सत्यापित करना होता है। विभाग को उन कागजों की जांच करवानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा न करके तुरंत 15 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए। जो विभागीय गलती है।
द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट आॅफ इंडिया गुरुग्राम चैप्टर के चेयरमैन सीए मोहित सिघल, संजय अग्रवाल, विपिन अग्रवाल, राहुल शर्मा, नवीन गर्ग, नितिन कटारिया, संदीप अग्रवाल, संगम अग्रवाल, राजीव डागर, नमन अग्रवाल, योगेश अग्रवाल और मनीष गोयल आदि का कहना है कि रिफंड जारी करने से पहले विभागीय अधिकारियों को जांच करनी चाहिए थी। दोनों सीए की कोई गलती नहीं है।
उन्होंने मांग की है कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह मामला सामने आ गया है। इस तरह के कई और फ्रॉड किए गए हो। इसलिए जिन अधिकारियों ने रिफंड जारी करने में भूमिका निभाई है, उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। इस फ्रॉड में विभाग की कमिश्नर से लेकर अन्य अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं।