इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Capital Municipal Corporation : राजधानी के तीनों निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) की एकीकरण की प्रक्रिया से जहां समूह ग व घ के कर्मचारी खुश नजर आ रहे हैं, वहीं क और ख श्रेणी के अधिकारी और कर्मचारी नाखुश हैं। केंद्रीय गृहमंत्रलय इस पूरी प्रक्रिया को अंजाम देने में शामिल है, इसलिए नौकरशाह खुले तौर पर इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। हालांकि, अंदरखाने वह नाखुश हैं।
इसकी वजह प्रमुख पदों पर नियुक्ति के अवसर कम होने के साथ ही प्रतिनियुक्ति के अधिकारियों के अपने मूल कैडर में वापसी है। दरअसल, तीन निगम होने की वजह से तीनों निगम में सभी विभागों में एक ही श्रेणी के तीन-तीन पद हो गए थे। ऐसे में प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों के अधिकारियों के नियुक्ति के अवसर ज्यादा थे। लेकिन, अब कहा जा रहा है कि जैसे तीन निगम एक होंगे, उससे प्रतिनियुक्ति पर दूसरे विभागों और मंत्रलयों से आने वाले अधिकारियों के अवसर कम हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि निगम में अतिरिक्त आयुक्त से लेकर उपायुक्त और सहायक आयुक्त और प्रशासनिक अधिकारियों के प्रतिनियुक्ति पर नियुक्ति होती है। निगम के तय नियमों के अनुसार कई पदों पर प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, जबकि यह संख्या 50 प्रतिशत से ज्यादा है। दिल्ली में एकीकृत निगम में निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगांई बताते हैं कि प्रतिनियुक्ति के आधार पर नियुक्ति के अवसर निगम की ही लापरवाही से अधिक होते हैं। (Capital Municipal Corporation)
इसकी एक बड़ी वजह समय से विभागानुसार पदोन्नति न होना है। कई-कई वर्षो तक निगम के वरिष्ठ अधिकारियों की विभागानुसार पदोन्नति नहीं होती है। इससे प्रमुख पदों पर प्रतिनियुक्ति पर आए अफसर को निगम को नियुक्त करना पड़ता है। अगर समय से निगम के अधिकारियों की पदोन्नति होती रहे तो इस समस्या को काफी हद तक खत्म किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि निगम के अफसर अगर किसी पद पर नियुक्त हैं तो उस पर किसी भी लापरवाही को लेकर बहुत जल्द जिम्मेदारी तय की जा सकती है। जबकि, प्रतिनियुक्ति पर जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया बहुत लंबी है। प्रतिनियुक्ति पर आया अफसर एक तय समय-सीमा के लिए आता है। इसके बाद कोई कार्रवाई करनी हो तो उसमें काफी लंबी प्रक्रिया होती है। जबकि, निगम के अधिकारी के लिए यह काम बहुत जल्द हो जाता है।
उन्होंने बताया कि फिलहाल एडहाक पर पदोन्नति की प्रक्रिया बना ली गई है, जिससे अफसर को जिम्मेदारी तो मिल जाती है, लेकिन उस पद के जो लाभ मिलने चाहिए, वह नहीं मिल पाते हैं। तीनों नगर निगम की विभिन्न बैठकों में अक्सर निगम कैडर के अधिकारियों को पदोन्नति समय पर न होने के मुद्दे उठते रहते हैं। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष भी इन मुद्दों को उठाता रहा है। यह भी आरोप निगम पार्षदों द्वारा लगाया जाते हैं। इतना ही नहीं, पार्षद खुद प्रतिनियुक्ति पर आने वाले अधिकारियों के काम-काज पर भी सवाल खड़े करते हैं। (Capital Municipal Corporation)
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