India News(इंडिया न्यूज़)Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। बीती रात जब हम सो रहे थे अपने विक्रम लैंडर ने चांद की तरफ एक और कदम बढ़ाया। धीरे-धीरे वह चांद की सतह के करीब जा रहा है। 23 अगस्त की शाम का इंतजार करने के साथ ही प्रार्थना कीजिए, भारत चांद पर होगा। इस बीच, विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग से ठीक पहले चंद्रयान-3 से गुड न्यूज आई है। जी हां, प्रॉपल्शन मॉड्यूल में 150 किग्रा से ज्यादा ईंधन बचा है। वही मॉड्यूल जिससे विक्रम लैंडर कुछ घंटे पहले अलग हुआ।
पहले यह माना गया था कि यह तीन से छह महीने तक काम कर पाएगा लेकिन अब इसके कई वर्षों तक काम करते रहने की संभावना है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने बताया कि प्रॉपल्शन मॉड्यूल के पास काफी ईंधन बचा है, जो हमारी उम्मीद से भी ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि चांद के रास्ते में सब कुछ नॉर्मल रहा। किसी तरह की आपात स्थिति या करेक्शन की जरूरत नहीं पड़ी जिसमें ईंधन ज्यादा खर्च होता।इसरो चीफ ने कन्फर्म किया है कि अभी 150+ किग्रा ईंधन बचा है। 14 जुलाई को लॉन्च के समय प्रॉपल्शन मॉड्यूल में 1,696.4 किग्रा ईंधन लोड किया गया था। 15 जुलाई से 17 अगस्त के बीच उसने धरती की कक्षा में पांच मैनूअर पूरे किए, चांद की कक्षा में भी पांच प्रक्रियाएं पूरी की गईं। इसके बाद वह लैंडर से अलग हुआ।
अपना लैंडर चांद की सतह के और करीब पहुंच गया। आधी रात को जब हम गहरी नींद में थे इसरो ने रात 1 बजकर 50 मिनट पर विक्रम लैंडर की दूसरी डिबूस्टिंग की प्रक्रिया पूरी की। अब इसकी दूरी 25 किमी x 134 किमी रह गई है। यह चांद की सतह से अधिकतम और सबसे कम दूरी को दर्शाता है। इसरो ने तड़के ट्वीट कर बताया कि दूसरे और फाइनल डिबूस्टिंग ऑपरेशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और अपना लैंडर घटकर काफी निचली कक्षा में आ गया है। अब मॉड्यूल का इंटरनल चेक होगा और निर्धारित लैंडिंग साइट पर सूरज की रोशनी पहुंचने का इंतजार किया जाएगा। लैंडिंग का समय 23 अगस्त 2023 को शाम 5 बजकर 45 बजे निर्धारित है।
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक, 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट
इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिये छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।
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