India News(इंडिया न्यूज़), Chhath Puja 2023: लोक आस्था का महापर्व छठ आज उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया है। इस शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं ने सूर्य की आराधना की। साथ ही छठी मैया से सुख-समृद्धि की कामना की। शास्त्रों में कहा गया है कि संतान प्राप्ति के लिए माता अजीत ने छठी मैया की पूजा-अर्चना की थी। उनकी तपस्या के लिए प्रसिद्ध छठी मैया ने उन्हें पुत्र दिया था। बाद में भगवान आदित्य का अवतार हुआ। मूलतः छठ पूजा का विशेष महत्व है।
विवाहित और नवविवाहिता महिलाएं छठ का व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य से स्त्रियों को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए छठ व्रत रखती हैं।
छठ पूजा पर साबुत और डगरा में फल, फूल और पकवान रखकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। व्रत की विधि के अनुसार सूर्य देव को अर्घ्य दें।
शास्त्रों में बताया गया है कि चतुर्थ माता सीता ने छठ पूजा की थी। तभी से विवाहित स्त्रियां हर वर्ष कार्तिक माह में छठ पूजा करती हैं। इस व्रत के पुण्य से व्रत करने वाले की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को सुबह उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस समय सूर्य देव को गंगाजल या कच्चा दूध अर्पित किया जाता है।
छठ मैया को प्रसाद के रूप में केरवा सहित विभिन्न प्रकार के फल और फूल चढ़ाए जाते हैं। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद वितरित करती हैं।
सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं अपने बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। इस अवसर पर व्रती महिलाओं को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद दिया जाता है।
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