Chhawla Rape Case: सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामने से हर कोई हैरान रह गया है। वहीं, पीड़िता की मां ने भी इसे अपनी हार करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने छावला रेप केस के तीनों आरोपियों को बरी कर दिया है। वहीं निचली अदालत और हाईकोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी माना था और फांसी की सजा सुनाई थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को बरी करने में पुलिस की घोर लापरवाही को अपने फैसले का आधार बनाया है।
बता दें कि पुलिस ने 16 फरवरी को आरोपियों के डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए। ये सैंपल अगले 11 दिनों तक पुलिस थाने के मालखाने में पड़े रहे। इसके बाद 27 फरवरी को वो सैंपल सीएफएसएल भेजे गए। यही वजह है कि कोर्ट में दोषियों को इसका फायदा मिला।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपियों को अपनी बात कहने का पूरा मौका नहीं मिला। चाव पक्ष की दलील थी गवाहों ने भी आरोपियों की पहचान नहीं की। टोटल 49 गवाहों में दस का क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं हुआ। आरोपियों की पहचान कराने के लिए कोई परेड नहीं हुई।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निचली अदालत ने भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। निचली अदालत अपने विवेक से भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 165 के तहत सच्चाई तक जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही कर सकता था। उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया?
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि जांच में ASI द्वारा मृतक के शरीर के जो बाल मिले थे, वो काफी संदिग्ध है। आदेश में कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया कि लड़की का फील्ड में जो शव मिला था, वो नहीं सड़ा था। ये भी सवाल किया गया कि तीन दिनों तक शव फील्ड में पड़ा रहा, लेकिन ने भी उस पर ध्यान नहीं दिया।
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