इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Consolidation Of Delhi Corporation : दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह द्वारा निगमों के एकीकरण का जो बिल लोकसभा में पेश किया गया उसमें भविष्य में फंड की व्यवस्था सुधारने के लिए कोई जिक्र नही है और न ही भविष्य में कर्मचारियों के हितों को लेकर चैथे व पांचवे वित्त आयोग की सिफारिशें लागू करने का जिक्र है।
भविष्य में फंड के हालाता कैसे सुधरेंगे इस पर भी कोई समाधान नही दिए गए है। अनिल कुमार ने कहा कि निगमों के एकीकरण के बाद 70 प्रतिशत फंड का ही प्रावधान है, बाकी 30 प्रतिशत फंड बाहरी जरुरत पर सब कुछ गोलमाल रखा है।
अनिल कुमार ने कहा कि तीनों निगमों के एकीकरण और निगम चुनाव टालने के निर्णय से पूर्व केन्द्र सरकार को दिल्ली में सर्वदलीय बैठक करके सलाह मश्वरा करना चाहिए था परंतु मोदी सरकार ने तानाशाह और अलोकतांत्रिक रवैया अपनाते हुए यह निर्णय दिल्लीवासियों पर थोप दिया।
अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी ने एक योजना के तहत दिल्लीवालों को भ्रमित करके दिल्ली में तीनों निगमों का एकीकरण करने का षड़यंत्र किया, क्योंकि पांच राज्यों के नतीजों से एक दिन पूर्व चुनाव आयोग निगम चुनावों की घोषणा करने की जगह निगमों के एकीकरण की बात कहकर चुनाव टाल दिए और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल चुप्पी साधे रहे।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल द्वारा दिल्ली बजट को 26 मार्च को रखना और उससे एक दिन पहले संसद में निगमों के एकीकरण पर कानून आना, साफ दशार्ता है। कि दोनों पार्टियाँ निगम चुनाव टालने में एकमत हैं।
अनिल कुमार ने कहा कि निगमों का एकीकरण करने के बहाने निगमों का चुनाव टालना दिल्ली के लिए नुकसानदेह है और जबकि कांग्रेस पार्टी दिल्ली के भविष्य को लेकर चिंतित है, जबकि केजरीवाल सहित पूरी आम आदमी पार्टी एकीकरण पर मोदी सरकार के तानाशाही रवैये पर चुप है, उनकी चिंता केवल चुनाव को लेकर है।
प्रदेश अध्यक्ष ने केजरीवाल से पूछा कि क्या आम आदमी पार्टी संसद में निगम एकीकरण बिल के समर्थन में वोट करेगी या विरोध में? केजरीवाल स्थिति स्पष्ट करें। (Consolidation Of Delhi Corporation)
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