इंडिया न्यूज,नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप के नौ अन्य विधायकों को बुधवार को सत्र अदालत ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने मारपीट मामले में केजरीवाल समेत अन्य को क्लीनचिट देने संबंधी निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की याचिका खारिज कर दी है।
राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल की अदालत ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत अन्य को क्लीनचिट देने संबंधी फैसले को बरकरार रखा है। इसके साथ ही कहा है कि निर्णय को रद्द करने का कोई ठोस आधार नहीं है। वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री आवास पर नौकरशाह पर मुख्यमंत्री और अन्य विधायकों की ओर से हमले का आरोप लगा था। 30 मार्च को अंशु प्रकाश ने अदालत में कहा था कि केजरीवाल और सिसोदिया एक साजिश के ह्यकिंगपिन थे, जिसके कारण उनके साथ मारपीट की गई।
यह मामला 19 फरवरी, 2018 को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान प्रकाश पर हुए कथित हमले से जुड़ा है। घटना ने दिल्ली सरकार और नौकरशाही के बीच तीखी नोकझोंक शुरू कर दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान, अंशु प्रकाश के वकील ने तर्क दिया था कि निचली अदालत ने फैसले में गलती की थी और दिल्ली सरकार ने अभियोजन पक्ष को बल द्वारा लिखित अनुरोध के बावजूद आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर करने की अनुमति नहीं दी थी।
पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा था कि केजरीवाल और सिसोदिया साजिश के सरगना थे, जिसमें 11 विशिष्ट विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया था। बैठक विशेष रूप से मुख्यमंत्री के ड्राइंग रूम में रखी गई थी, जहां सीसीटीवी कैमरे नहीं थे। वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत में तर्क पेश किया। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव के आगमन से एक घंटे पहले विधायकों को उपस्थित होने के लिए कहा गया था।
बैठक को बिना किसी एजेंडे के बुलाया गया था, जहां इस मुद्दे से संबंधित अधिकारियोंध्मंत्रियों को विशेष रूप से गोपनीयता बनाए रखने के लिए नहीं बुलाया गया था। अधिवक्ता लूथरा का कहना था कि अब वे मुख्य सचिव पर शारीरिक हमले की घटना को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन साजिश के आरोपों से इनकार कर रहे हैं।
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