नई दिल्ली। दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी कि (डीडीए) के लगभग 15,500 फ्लैट की बिकरी नहीं हो पा रही हैं। जिनकी कीमत भी करीब 18,000 करोड़ रुपये बताई जा रही है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डीडीए की इस गलत प्लानिंग और जनता की जरूरत को न समझने की वजह से डीडीए के सामने बड़ी आर्थिक समस्या आन पड़ी है।
कुछ दिनों एलजी वीके सक्सेना ने भी डीडीए की आर्थिक स्थिति को लेकर एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उन्होंने बताया था कि 2019-20 से 2021-22 के दौरान डीडीए की आमदनी 3,578.69 करोड़ की है। वहीं कुल खर्चा 6,787.83 करोड़ का है। यानी की वक्त डीडीए 3209.14 करोड़ के घाटे में हैं।
एलजी वीके सक्सेना ने इस समस्या पर लोगों से सुझाव भी मांगे थे। अधिकारियों के मुताबिक डीडीए के हालात साल 2016-17 से खराब होना शुरू हो गई थी। इसका मुख्य कारण साल 2014 से शुरू हुआ जहां डीडीए के फ्लैटों की मांग कम हो गई। 2014 में डीडीए की आवासीय योजना में जो फ्लैट शामिल किए गए थे, वह छोटे साइज की वजह से लोगों को पसंद नहीं आए। जिसके चलते फ्लैटों की बिकरी नहीं हो पाई।
फ्लैटों की बिकरी के लिए डीडीए ने फ्लैटों के आसपास ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया गया, तीसरी रिंग रोड यानी की यूईआर-2 को नए सेक्टरों से जोड़ा गया, दो फ्लैट को जोड़ने की स्कीम लाई गई, पहले आओ पहले पाओ को भी आजमाया गया। लेकिन डीडीए को कोई खास लाभ नहीं हुआ। 2014 के बाद से अब तक डीडीए अपनी आवासीय योजनाओं में करीब 57 हजार फ्लैटों को ला चुका है। इनमें से करीब 15500 फ्लैट लोगों ने या तो वापस कर दिए या बिक ही नहीं पाए।
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