Sunday, July 7, 2024
HomeDelhiDelhi Air Pollution: Air Pollution को लेकर दिल्ली प्रशासन ने बरती सख्ती,...

India News(इंडिया न्यूज़)Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली (Delhi) वैसे तो खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों और देश के राजनीतिक केंद्र के रुप में जाना जाता है। साथ ही एक और वजह से भी जाना जाता है, वह यहां का प्रदूषण पर हालिया शोध के आधार पर, राजधानी को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में उच्चतम स्थान पर है। अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है और अगर इसी तरह प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तय सीमा से ज्यादा बना रहा तो दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 11.9 साल कम होने की आशंका है। शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्ज नीति संस्था द्वारा वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) पर शोध पत्र जारी किया गया है। बता दे कि तीनों राज्यों नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) एवं एनसीआर के सभी थर्मल पावर प्लांटों के  लिए निर्देश दिए गए हैं कि वह ईंधन के तौर पर 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से पराली का इस्तेमाल करें।

दिल्ली की घनी आबादी प्रदूषण

भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में भूवैज्ञानिक और मौसम के कारकों की वजह से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक ने धूल कण और समुद्री नमक के 2.5 पीएम का अध्ययन किया। ये जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मानवीय गतिविधियां प्रदूषण में इजाफा करने में अहम रोल अदा करते हैं। राजधानी में वायु प्रदूषण होने की मुख्य वजह जनसंख्या घनत्व है। दिल्ली में देश के दूसरे शहरों के मुकाबले, आबादी का घनत्व तीन गुना अधिक है।

लंबे समय से प्रयास

तीनों राज्यों, नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) एवं एनसीआर के सभी थर्मल पावर प्लांटों को निर्देश दिए गए हैं कि वह ईंधन के तौर पर 10 प्रतिशत तक अनिवार्य रूप से पराली का इस्तेमाल करें, जो प्लांट इसका पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि अक्टूबर की शुरुआत से ही पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं सामने आने लगती हैं। यह सिलसिला नवंबर मध्य तक अर्थात करीब डेढ़ महीने तक चलता है। बड़ी संख्या में जलाई जाने वाली पराली के चलते इसका धुआं राष्ट्रीय राजधानी इलाके में बड़े पैमाने पर फैल जाता है और हवा काे काला कर देता है।  पराली जलाने की घटनाएं रोकने के लिए पिछले कुछ सालों से बहुत प्रयास किया जा रहा हैं। पहले की तुलना में इनमें कमी देखने को मिली है, लेकिन अभी इसे लंबा सफर तय करना है।
इन 6 देशों का भी बुरा हाल

बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, चीन, नाइजीरिया और इंडोनेशिया में पड़ता है, जहां लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण अपने जीवन के एक से 6 साल से ज्यादा समय गंवा देते हैं।’ सरकार ने ‘प्रदूषण के खिलाफ युद्ध छेड़ते हुए’ 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया था। एनसीएपी का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर 2017 की तुलना में 2024 तक कण प्रदूषण को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना रखा गया और उन 102 शहरों पर ध्यान केंद्रित किया गया जो भारत के राष्ट्रीय वार्षिक औसत पीएम 2.5 मानक को पूरा नहीं कर रहे थे। सरकार के नए लक्ष्य के अनुसार 2025-26 तक 131 शहरों में प्रदूषण को 2017 की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम करना है।

जानें पूरी रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि कण (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण समय के साथ बढ़ा है और 1998 से 2021 तक भारत में औसत वार्षिक कण प्रदूषण 67.7 प्रतिशत बढ़ा, जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 2.3 साल कम हो गई। इसमें कहा गया कि 2013 से 2021 तक दुनिया में प्रदूषण वृद्धि में से 59.1 फीसदी के लिए भारत जिम्मेदार था। देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र- उत्तरी मैदानों में अगर प्रदूषण का मौजूदा स्तर बरकरार रहा, तो 52 करोड़ 12 लाख लोग या देश की आबादी के 38.9 प्रतिशत हिस्से की जीवन प्रत्याशा औसतन आठ साल कम होने की आशंका है।

वायु प्रदूषण रोकने के लिए निर्देश जारी

बता दे कि थर्मल प्लांटों में पराली जलाने से किसानों में पराली को खेत में जलाने की बजाय उसे बेचना चाहिए। पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में कमी देखने को मिल रही है। बता दे कि केंद्र सरकार ने इस प्रक्रिया की शुरुआत पिछले साल कर दिया था, लेकिन अभी भी यह पुरा नहीं हो सका है। इस पत्र में जलाए जाने वाले पराली पैलेट में नमी की मात्रा 14 प्रतिशत से कम होने और इसकी कैलोरिफिक वैल्यू 2800 से 3400 कैलोरी प्रति किग्रा तक रखने के निर्देश भी दिया गया हैं, जबकि थर्मल प्लांटों को इसके लिए पर्याप्त व्यवस्था करने को कहा गया है, ताकि वायु प्रदूषण कम हो सके।

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Nidhi Jha
Nidhi Jha
Journalist, India News, ITV network.
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