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Delhi Air Pollution: दिल्ली में हवा फिर संतोषजनक श्रेणी में पहुंची, ग्रेटर नोएडा की हवा रही सबसे प्रदूषित

• LAST UPDATED : September 12, 2023

India News(इंडिया न्यूज़) Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली (Delhi) वैसे तो खूबसूरत ऐतिहासिक इमारतों और देश के राजनीतिक केंद्र के रुप में जाना जाता है। साथ ही एक और वजह से भी जाना जाता है, वह यहां का प्रदूषण पर हालिया शोध के आधार पर, राजधानी को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में उच्चतम स्थान पर है। अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर पाया गया है और अगर इसी तरह प्रदूषण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तय सीमा से ज्यादा बना रहा तो दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 11.9 साल कम होने की आशंका है। शिकागो यूनिवर्सिटी के ऊर्ज नीति संस्था द्वारा वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQI) पर शोध पत्र जारी किया गया है। इस अध्ययन के मुताबिक, ‘देश की एक सौ तीस करोड़ आबादी उन क्षेत्रों में निवास करती है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित प्रदूषण स्तर 5 μg/m3 से अधिक है।

दिल्ली की घनी आबादी प्रदूषण

भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों में भूवैज्ञानिक और मौसम के कारकों की वजह से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक ने धूल कण और समुद्री नमक के 2.5 पीएम का अध्ययन किया। ये जांच इस निष्कर्ष पर पहुंची कि मानवीय गतिविधियां प्रदूषण में इजाफा करने में अहम रोल अदा करते हैं। राजधानी में वायु प्रदूषण होने की मुख्य वजह जनसंख्या घनत्व है। दिल्ली में देश के दूसरे शहरों के मुकाबले, आबादी का घनत्व तीन गुना अधिक है।

मौसम विभाग की माने तो आने वाले दिनों में मौसम इसी तरह बनी रहे तो उम्मीद है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर संतोषजनक श्रेणी में ही बना रह सकता है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक सोमवार को दिल्ली की ओर आने वाली हवाओं की चाल उत्तर-पूर्वी हो गई है। वहीं, दिन में 16 किमी प्रतिघंटे की गति से मध्यम स्तर की हवाएं चली। दिल्ली में अभी कुछ दिन से भारी बारिश देखने को मिल रही है। बारिश के कारण दिल्ली के प्रदूषण में सुधार बनी हुई है। 

जानें पूरी रिपोर्ट

अध्ययन में बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ की पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की निर्धारित सीमा की स्थिति में होने वाली जीवन प्रत्याशा की तुलना में हवा में मौजूद सूक्ष्म कणों से होने वाला प्रदूषण (पीएम 2.5) औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा को 5.3 वर्ष कम कर देता है। AQI के अनुसार दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और अगर प्रदूषण का मौजूदा स्तर बरकरार रहा, तो एक करोड़ 80 लाख लोगों की जीवन प्रत्याशा डब्यूएचओ की निर्धारित सीमा के सापेक्ष औसतन 11.9 साल और राष्ट्रीय दिशानिर्देश के सापेक्ष 8.5 वर्ष कम होने की आशंका है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कण (पार्टिकुलेट मैटर) प्रदूषण समय के साथ बढ़ा है और 1998 से 2021 तक भारत में औसत वार्षिक कण प्रदूषण 67.7 प्रतिशत बढ़ा, जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 2.3 साल कम हो गई। इसमें कहा गया कि 2013 से 2021 तक दुनिया में प्रदूषण वृद्धि में से 59.1 फीसदी के लिए भारत जिम्मेदार था। देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र- उत्तरी मैदानों में अगर प्रदूषण का मौजूदा स्तर बरकरार रहा, तो 52 करोड़ 12 लाख लोग या देश की आबादी के 38.9 प्रतिशत हिस्से की जीवन प्रत्याशा औसतन आठ साल कम होने की आशंका है। एनसीआर की बात करें तो सोमवार को फरीदाबाद का प्रदूषण स्तर 53, गाजियाबाद का 33, ग्रेटर नोएडा का 99, गुरुग्राम का 67 और नोएडा का 40 सूचकांक दर्ज किया गया।

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