India News Delhi (इंडिया न्यूज), Delhi: गाड़ी चलाते समय ब्लूटूथ ईयरफोन का इस्तेमाल करने से सिर पर गंभीर चोट लगने का खतरा बढ़ रहा है। साल 2023 में सिर की चोट के कारण डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश मरीज ब्लू टूथ के कारण ध्यान भटकने के कारण दुर्घटना का शिकार पाए गए। एक्सपर्ट के मुताबिक, युवाओं में गाड़ी चलाते समय ब्लूटूथ ईयरफोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ये मामले खासतौर पर बाइक चालकों के बीच ज्यादा हैं। इसके अलावा कारों और अन्य चार पहिया वाहनों में ब्लूटूथ माइक का इस्तेमाल भी दुर्घटनाओं का कारण बन गया है।
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. शरद पांडे बताते हैं कि साल 2023 में 17017 मरीज सिर में चोट के भर्ती हुए। इनमें से 60 प्रतिशत मरीज सड़क दुर्घटना में घायल होकर पहुंचे थे। वहीं 30 फीसदी मरीज दोपहिया वाहन चालक थे। सड़क हादसों में घायल होने वाले ज्यादातर लोग ब्लूटूथ ईयरफोन का इस्तेमाल करते पाए गए हैं। खासकर युवाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। उनका कहना है कि सिर की चोट काफी घातक होती है। अगर समय पर इलाज न मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है।
दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट न पहनना हादसों का बड़ा कारण बन रहा है। आरएमएल में आए 30 फीसदी घायलों में हेलमेट न पहनना हादसे का कारण बना। इसमें बाइक चालक और बाइक के पीछे बैठे व्यक्ति के बीच हेलमेट को लेकर बड़े स्तर पर लापरवाही सामने आई है।
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सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2022 में 461312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। इसमें 168491 लोगों की जान चली गई। 443366 लोग घायल हुए। दुर्घटना के शिकार लोगों में 66.5 प्रतिशत युवा 18 से 45 साल के बीच के हैं।
सिर की गंभीर चोटों को रोका जा सकता है। ऐसे मामलों को रोकने के लिए आरएमएल का न्यूरोसर्जरी विभाग बुधवार को विश्व मस्तिष्क चोट जागरूकता दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित करेगा। इसमें गंभीर चोटों से उबर रहे मरीज अपने अनुभव साझा करेंगे। इसके साथ ही डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, ट्रैफिक पुलिस अधिकारी, बाल शिक्षा विभाग के अधिकारी, अस्पताल निदेशक और चिकित्सा अधीक्षक इलाज और घटनाओं के बारे में चर्चा करेंगे। लाइफ बियॉन्ड हेड इंजरी, यू आर सेफ, फैमिली सेफ, कम्युनिटी सेफ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में इलाज की प्रगति और हेड इंजरी पर चर्चा की जाएगी। साथ ही ऐसी घटनाओं का परिवार पर पड़ने वाले प्रभाव को भी नुक्कड़ नाटक के माध्यम से दिखाया जाएगा।
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