Sunday, July 7, 2024
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दिल्ली का प्रशासन चलाने के लिए आईएएस अधिकारियों पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण जरूरी है, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से स्थिति में बदलाव हुआ है.

India News (इंडिया न्यूज़): दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव अक्सर देखा जाता है. इस बार टकराव हुआ अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और इसपर 5 जजों की संविधान पीठ ने सुनवाई की. संविधान पीठ गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगी. प्रधान न्यायाधीश (CJI)  डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा का संविधान पीठ फैसला सुनाएगी. अदालत ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब इस मामले पर कोर्ट कल यानी 11 मई को फैसला सुनाएगी.

‘दोनों जजों का मत अलग-अलग’

आपको बता दें कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाएं किसके नियंत्रण में होगी इसको लेकर पहले सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने 14 फरवरी 2019 को एक फैसला सुनाया था, लेकिन उसमें दोनों जजो का मत अलग अलग होने की वजह से इस मामले को बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया. इस पर केंद्र ने भी दलील दी थी कि मामले को बड़ी बेंच को भेजा जाए. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच को यह मामला 6 मई 2022 को रेफर किया गया था.

किसका क्या है पक्ष?

दिल्ली सरकार ने दलील दी कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ कह चुकी है कि भूमि और पुलिस जैसे कुछ मामलों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार की सर्वोच्चता रहेगी. दिल्ली का प्रशासन चलाने के लिए आईएएस अधिकारियों पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण जरूरी है, लेकिन केंद्र सरकार ने कहा कि गवर्नमेंट ऑफ एनसीटी ऑफ दिल्ली एक्ट (GNCTD Act) में किए गए संशोधन से स्थिति में बदलाव हुआ है.

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दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है. यहां की सरकार को पूर्ण राज्य की सरकार जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते. केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार राजनीतिक अपरिपक्वता के चलते लगातार विवाद की स्थिति बनाए रखना चाहती है.

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