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Delhi Connaught Place: दिल्ली की कनॉट प्लेस का कौन है मालिक, कितना है किराया और कौन करता है वसूली, जानिए कुछ रोचक फैक्ट

• LAST UPDATED : September 8, 2023

India News(इंडिया न्यूज़)Delhi Connaught Place: दिल्ली का दिल कनॉट प्लेस, यहां वो सारी वर्ल्ड क्लास सुविधा मौजूद है। 30 हेक्टेयर में फैला कनॉट प्लेस खरीदारों के लिए स्वर्ग है तो काम करने वालों के लिए ड्रीम प्लेस भी है। कनॉट प्लेस के बारे में कई ऐसे फैक्ट्स हैं जिसके बारे में ज्यादातर लोग अंजान होंगे। आइये आपको बताते हैं दुनिया की सबसे महंगी जगहों में से एक कनॉट प्लेस के बारे में दिलचस्प फैक्ट। कनॉट प्लेस का शॉर्ट नेम सीपी है। कनॉट प्‍लेस का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान 1929 में शुरू हुआ।

5 साल में बनकर यह तैयार हो गया। तब ब्रिटिश राजघराने के सदस्‍य ड्यूक ऑफ कनॉट और स्ट्रैथर्न के नाम पर इसका नाम रखा गया था। लेकिन आजादी के बाद यह जगह आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनती गई। आज यह दुनिया के सबसे महंगे मार्केट प्‍लेस में से एक है। यानी इस इलाके के किसी दफ्तर में यदि आप काम कर रहे हैं तो मुमकिन है कि आप दुनिया के सबसे महंगे दफ्तर में काम कर रहे हों। लेकिन यहां की बिल्‍ड‍िंगों का मालिक कौन है।

जानिए कनॉट प्लेस की कुछ रोचक बाते

एक समय में सीपी सबसे महंगे बाजार होने के मामले में मिडटाउन मैनहट्टन, न्यूयॉर्क और सेंट्रल लंदन के अप-मार्केट स्थानों में टॉप पर था। सीपी में न केवल प्रतिष्ठित मीडिया घराने बल्कि विभिन्न सरकारी कार्यालय और बैंक भी शामिल हैं। 12 सड़कें बाजार के अंदर और बाहर जाती हैं, जिनमें जनपथ रोड सबसे लोकप्रिय है। सीपी में एक और प्रमुख आकर्षण सेंट्रल पार्क है। केंद्र में हरा-भरा पार्क अब सीपी की विरासत बन गया है। यहाँ एक राष्ट्रीय ध्वज भी लगा हुआ हैं। यह झंडा 207 फीट ऊंचा, 60 फीट चौड़ा और लगभग 37 किलोग्राम वजनी है। यह देश का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा झंडा है। यह झंडा किसी भी दर्शक के दिल में गर्व और देशभक्ति की भावना पैदा करता है।

कितना है किराया

पुराने दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम, 1958 के बाद, सीपी में कई संपत्तियों का मासिक किराया 3,500 रुपये से कम है। ऐसी अधिकांश संपत्तियों का बाजार किराया आज लाखों में है। लेकिन अधिनियम मकान मालिकों को उन किरायेदारों के लिए हर साल 10 प्रतिशत से अधिक किराया बढ़ाने से रोकता है। जिन्होंने भारत की आजादी से पहले संपत्तियों पर कब्जा कर लिया था। जिससे संपत्ति के मालिकों को एशिया के सबसे महंगे बाजार में अभी के हिसाब से ना के बराबर किराये की आय होती है। यहां की जगहों के मूल मालिकों को कुछ हजार रुपये ही किराये मिल रहे होंगे और किरायेदार करोड़ों कमा रहे हैं। किराये पर संपत्‍त‍ि लेने वालों ने महंगी स्टारबक्स, पिज़्ज़ा हट, वेयरहाउस कैफे जैसी कंपनियों, बैंकों को दफ्तर बनाने के लिए यह जगह दे दी और हर महीने लाखों रुपये कमा रहे हैं

कौन है मालिक

संपत्‍ति के हिसाब से देखें तो भारत सरकार इस जगह की असली मालिक है। लेकिन आजादी से पहले यहां की ज्‍यादातर संपत्‍त‍ियां किराये पर दे दी गई थीं।

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