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Delhi Court: दिल्ली की झुलसती गर्मी में दलीलें सुनना हुआ मुश्किल, इस कोर्ट ने नंवबर तक टाली सुनवाई

• LAST UPDATED : May 29, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Court: दिल्ली में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। मंगलवार को कई स्थानों पर तापमान 50 डिग्री के पास पहुंच गया। इस भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं। इसी बीच, राजधानी की एक उपभोक्ता कोर्ट ने खराब बुनियादी ढांचे पर चिंता जताते हुए गर्मी के कारण एक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

द्वारका स्थित उपभोक्ता विवाद फोरम, जिसके अध्यक्ष सुरेश कुमार गुप्ता, सदस्य हर्षाली कौर और रमेश चंद यादव हैं, ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “कोर्ट रूम में न तो एसी है और न ही कूलर। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा है। कोर्ट रूम में बहुत गर्मी है, जिससे पसीना आता है और दलीलें सुनना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, पानी की सप्लाई भी नहीं है, यहां तक कि वॉशरूम जाने के लिए भी पानी नहीं है।”

Delhi Court: टली सुनवाई

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “ऐसी परिस्थितियों में दलीलें नहीं सुनी जा सकतीं, इसलिए मामले को बहस के लिए स्थगित किया जाता है।” अब इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर, 2024 को होगी। यह आदेश इस बात को दर्शाता है कि देश में निचली अदालतें और ट्रिब्यूनल कैसे संसाधनों की कमी से जूझते हुए काम कर रहे हैं। पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट के अनुसंधान और नियोजन केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि देश भर में 4,000 से ज्यादा कोर्ट रूम और जजों के लिए 6,000 से ज्यादा आवासीय घरों की भारी कमी है।

इंफ्रास्ट्रक्चर की है कमी

रिपोर्ट में बताया गया है कि जिला न्यायपालिका में जजों की स्वीकृत संख्या 25,081 है, लेकिन उनके लिए 4,250 कोर्ट रूम और 6,021 आवासीय इकाइयों की कमी है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 40.78 प्रतिशत और त्रिपुरा में 35.93 प्रतिशत की कमी है, जो कोर्ट रूम की सबसे ज्यादा कमी को दर्शाता है। दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में न्यायिक अधिकारियों के लिए 61 प्रतिशत आवास की कमी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायपालिका की ताकत समय पर न्याय देने की क्षमता में निहित है और इसे पर्याप्त फिजिकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता से सुरक्षित किया जा सकता है। न्यायिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए सुविधाओं से लैस कोर्ट रूम सबसे पहला और इम्पोर्टेन्ट पहलू है। हर जज के पास अत्याधुनिक कोर्ट रूम होना चाहिए जिससे वह बिना किसी रुकावट के उचित न्याय दे सकें। लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि जजों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई है। इसके अलावा, 59 प्रतिशत कोर्ट रूम में बैक-अप बिजली तक नहीं है।

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