India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Crime News: दिल्ली में फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाने और जारी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। इस मामले में डीसीपी क्राइम राकेश पावरिया ने बताया कि क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी कि यह गिरोह फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर बेच रहा है। पुलिस ने इस सूचना पर कार्रवाई करते हुए एक शख्स को संदिग्ध आरोपी के रूप में भेजा, जिसने 13 मार्च 2024 को 3500 रुपए में जाति प्रमाण पत्र बनाया और जारी किया था। पुलिस ने इस मामले में एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है।
फर्जी सर्टिफिकेट बनाने और विक्रय करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिन्होंने दिल्ली सरकार की रेवेन्यू विभाग की वेबसाइट पर भी अपने बनाए हुए सर्टिफिकेट अपलोड किए थे। पुलिस ने इस मामले में एक सामान्य श्रेणी के शख्स को 20 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया, जिसने OBC सर्टिफिकेट के लिए 3000 हजार रुपये लिए थे। उसके बाद, 9 मई को पुलिस ने संगम विहार इलाके से एक और आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसके फोन से गिरफ्तारी हुई दो आवेदकों के दस्तावेज़ और उनकी चैट भी मिली थी। इन आरोपियों ने ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भी संदिग्ध कार्य किया था।
तीनों लोगों ने मिलकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाने का शारूरात की थी। इसके बाद पुलिस ने 14 मई से लेकर 27 मई के बीच तहसीलदार नरेंद्र पाल सिंह, उनके दफ्तर में काम करने वाले चेतन यादव और उनके ड्राइवर वारिस अली को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों से पूछताछ के दौरान सौरभ गुप्ता ने बताया कि उन्होंने जनवरी 2024 में एक ठेकेदार के माध्यम से चेतन यादव से संपर्क किया था, जो पहले तहसीलदार के ऑफिस में दिल्ली सरकार के हेल्पलाइन नंबर 1076 सर्विस ऑपरेटर के रूप में काम करता था। फिर उन्होंने वारिस अली के संपर्क में आकर तीनों ने मिलकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने और जारी करने की साजिश रची।
तहसीलदार नरेंद्र पाल सिंह एक साजिश चला रहे थे, जिसमें वे जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए आवेदकों से पैसे लेते थे। साजिश के अनुसार, उन्होंने रेवेन्यू विभाग की वेबसाइट पर आवेदन करने के लिए अपनी आधिकारिक डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल किया। उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र और आधार कार्ड की जानकारियां वेबसाइट पर अपलोड की, और इसके बाद आवेदकों के डिटेल्स को चेतन यादव को भेजा। चेतन यादव ने इन डिटेल्स को वारिस अली को भेजा, जिसने तहसीलदार के हिस्से का पैसा काटकर उनके आवेदन को अंतिम रूप दिया। वारिस अली ने तहसीलदार के डिजिटल सिग्नेचर के साथ सर्टिफिकेट को फिर से वेबसाइट पर अपलोड किया।
सौरभ गुप्ता ने अपनी पढ़ाई 10वीं तक पूरी की और पहले सब्जी बेचने का काम किया था। वह बाद में यहां तक पहुंचा कि उसने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने की धांधली में हिस्सा लिया। दूसरी ओर, वारिस अली ने 2017 से 2023 तक आर के पुरम के सीपीडब्ल्यूडी दफ्तर में डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम किया था। उसके बाद उसने एक ठेकेदार के जरिए तहसीलदार नरेंद्र पाल सिंह के संपर्क में आकर जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए धंधा शुरू किया।
नरेंद्र पाल सिंह, जिन्हें 1991 में क्लर्क के तौर पर भर्ती किया गया था, मार्च 2023 में उनका प्रमोशन हुआ और उन्हें एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट बना दिया गया। पुलिस ने इस मामले में बड़ी मात्रा में डिजिटल डिवाइस बरामद की हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आरोपी गिरोह की धांधली कितनी बड़ी थी। अभी तक 111 फर्जी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया है, और इसकी गहन जांच जारी है।