India News(इंडिया न्यूज़), Delhi: घरों में ट्यूशन और फ्लैट्स में कोचिंग आजकल आम बात हो गई है। लेकिन अब ऐसा करना मुश्किल होगा। क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने ऐसे ट्यूशन और कोचिंग मालिकों पर शिकंजा कस दिया है। रिहायशी इलाकों में चलने वाली कोचिंग क्लासेज पर दिल्ली हाई कोर्ट का नया आदेश आया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर आपकी ट्यूशन क्लास या कोचिंग क्लास में छात्रों की संख्या 20 से ज्यादा है तो आपको आवासीय क्षेत्र छोड़ना होगा। ऐसी कक्षाएं केवल व्यावसायिक क्षेत्रों में ही चलाई जा सकती हैं। एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘आवासीय भवनों में कोचिंग कक्षाओं के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। ऐसी जगहों पर अधिक छात्रों के साथ कक्षाएं चलाना उनके जीवन के लिए खतरनाक है।
याचिकाकर्ता ने शैक्षणिक भवनों की परिभाषा में कोचिंग सेंटरों को शामिल करने को लेकर कोर्ट में अपील की थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील राजेश्वरी हरिहरन ने कहा कि ‘दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) 2020 में एक अधिसूचना लेकर आई थी जिसमें हमें एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में परिभाषित किया गया था। हम चाहते हैं कि इस अधिसूचना को वापस लिया जाए और स्पष्टीकरण दिया जाए। इस पर पीठ ने कहा, ‘आपकी कोचिंग क्लास में 100 छात्र पढ़ते होंगे। आपको आवासीय भवन में नहीं होना चाहिए। किसी व्यावसायिक भवन में जाएँ। आप ऐसे आवासीय क्षेत्र से काम नहीं कर सकते जहां 20 से अधिक छात्र हों। हम इसे 2020 का नोटिफिकेशन नहीं कह सकते। यहां सवाल लोगों की जिंदगी का है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि फरवरी 2020 में ‘डीडीए के संशोधित बिल्डिंग बायलॉज (यूबीबीएल) में शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न प्रकार की सुविधाओं की बात की गई है। यह आवश्यक नहीं है कि यह पहले से निर्मित आवासीय भवन में ही हो। उन्होंने यह भी कहा कि कोचिंग सेंटर और शिक्षण संस्थान में अंतर होता है। शिक्षण संस्थान डिग्री, डिप्लोमा जैसे कोर्स ऑफर करते हैं। हम एक शैक्षणिक संस्थान नहीं हो सकते। हमें इतने सख्त नियमों के तहत नहीं लाना चाहिए। हम अग्नि सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए तैयार हैं।