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Delhi Demolition Drive: हजरत निजामुद्दीन में मस्जिद और मदरसा ढहाने की पूरी तैयारी, HC ने दी 1 महीने की मोहलत

• LAST UPDATED : June 14, 2024

India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Delhi Demolition Drive: दिल्ली हाई कोर्ट ने हजरत निजामुद्दीन स्थित मस्जिद और मदरसे के परिसर को खाली करने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और स्थानीय धार्मिक समिति को नए निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने फैसला किया है कि इन परिसरों को अब एक महीने के अंदर खाली करना होगा। यह फैसला DDA द्वारा लिया गया है, जिसके अंतर्गत ये परिसर ढहाए जाने का निर्णय किया गया था।

अदालत ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को सुनकर ये निर्देश दिए हैं और उन्हें एक महीने का समय दिया गया है ताकि वे इन परिसरों को खाली कर सकें। इसी के साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब और अधिक समय नहीं दिया जाएगा और इस समय सीमा का पालन करने की भी अपील की है। इस मामले में निर्णय देने वाले जस्टिस अमित शर्मा की वेकेशन बेंच ने इस फैसले में स्पष्टता बनाई है।

Delhi Demolition Drive: कोर्ट ने लगाई फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने हजरत निजामुद्दीन के सराय काले खां में स्थित मस्जिद और मदरसा के परिसर को खाली करने के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। इस फैसले के तहत, अदालत ने याचिकाकर्ताओं की याचिका को सुनकर उनके बयान को भी दर्ज किया है। मस्जिद के केयरटेकर ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वह एक महीने के अंदर परिसर को खाली कर देंगे और इसे ढहाए जाने की कार्रवाई में रोक नहीं लगाएंगे।

हाई कोर्ट ने केयरटेकर को हिदायत दी है कि वह अपने बयान से न मुकरे। इस निर्देश के साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब अधिक समय दिया जाना नहीं होगा और यह निर्णय त्वरित अमल में लाया जाएगा। इस मामले में फैसला देने वाले जस्टिस ने यह सुनिश्चित किया कि विवादों के मुद्दों पर सुसंगत और स्पष्ट फैसले किए जाएं।

याचिका करता ने की ये मांग

दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान एक मांग उठाई गई है जिसमें विधिवत तरीके से नहीं, बल्कि अनधिकृत और असंवैधानिक घोषित किए गए नोटिस को दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा मस्जिद के ढहाने के लिए किया गया था। यह मांग दिल्ली धार्मिक समिति (डीआरसी) द्वारा की गई है, जो सार्वजनिक भूमि से अनधिकृत धार्मिक संरचनाओं को हटाने का निर्णय लेकर समाप्त हुई। अधिवक्ता अरुण पंवार ने मामले में समिति का प्रतिनिधित्व किया है।

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