India News (इंडिया न्यूज़)Delhi excise policy case : दिल्ली हाई कोर्ट ने हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से रुख मांगा है, जो कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी और हिरासत को चुनौती दे रहे हैं। बता दें, अपनी याचिका में पिल्लई ने दावा किया है कि जानकारी प्राप्त करने के लिए “थर्ड डिग्री” तरीकों का इस्तेमाल किया गया था, जो पूछताछ के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली क्रूर रणनीति को संदर्भित करता है।
HC ने ED से मांगा जवाब
बता दें, न्यायमूर्ति स्वर्णकांत शर्मा ने शुक्रवार को ईडी से इस याचिका पर जवाब देने को कहा। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील नितेश राणा ने तर्क दिया कि ईडी द्वारा 6 मार्च को जारी गिरफ्तारी आदेश और उसके बाद के रिमांड आदेशों ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। उन्होंने तर्क दिया कि पिल्लई को कभी भी गिरफ्तारी का कोई आधार प्रदान नहीं किया गया, जैसा कि पीएमएलए की धारा 19(1) के तहत आवश्यक है, इस प्रकार यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
ED द्वारा ‘थर्ड डिग्री’ प्रताड़ना का आरोप
याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि रिमांड आदेश यह स्थापित करने में विफल रहे कि क्या ईडी के पास “विश्वास करने के कारण” बनाने के लिए पर्याप्त सबूत थे कि पिल्लई पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी था। याचिका में कहा गया है कि ईडी ने जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रतिशोधात्मक तरीके से “थर्ड डिग्री” उपायों सहित बलपूर्वक रणनीति का इस्तेमाल किया था, और यह गिरफ्तारी और रिमांड आदेशों द्वारा सक्षम किया गया था, जिसे रद्द किया जाना चाहिए।
कोर्ट में ED ने कहा
वहीँ, ईडी के वकील ने कोर्ट में कहा कि पिल्लई की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने आगे की सुनवाई 3 नवंबर को निर्धारित की है, जहां याचिकाकर्ता की जमानत याचिका पर भी विचार किया जाएगा। वहीँ, ED ने दावा किया है कि पिल्लई अपने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीआरएस एमएलसी के कविता के साथ निकटता से जुड़ा था, जो केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की FIR से उत्पन्न हुआ था।
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