Delhi Government School: केजरीवाल सरकार की मुश्किलें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक याचिका पर सरकार को नोटिस भेजा है। आपको बता दे हाईकोर्ट ने उस याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब भी मांगा है। जिसमें ऐसा आरोप लगाया कि राजधानी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में कुछ सरकारी स्कूलों में सिर्फ दो घंटे ही पढ़ाई हो रही है और कुछ स्कूलों में तो विद्यार्थियों को वैकल्पिक दिनों पर बुलाया जा रहा है।
आपको बता दे सोशल ज्यूरिस्ट नाम की एक संस्था द्वारा यह याचिका दाखिल की गई। उस याचिका के अनुसार इन स्कूलों में सिर्फ 2 घंटे की पढ़ाई से लाखों छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। दरअसल उस याचिका के जरिए कोर्ट को यह जानकारी दी गई है कि सितंबर के महीने में ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन ने दो बार दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल को पत्र भी लिखा था। जिसमें स्कूलों की समस्या को उठाया गया था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। याचिका में ‘निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ का हवाला देते हुए किसी भी स्कूल में पढ़ाई के घंटों का ब्यौरा दिया गया है।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कोविड-19 के बाद ‘हर कोई सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने पहुंचा है’ और सरकार ‘घनी आबादी’ वाले इलाके में बुनियादी ढांचे और अन्य मुद्दों के प्रति सजग है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार उन इलाकों में बुनियादी ढांचे और जमीन की उपलब्धता के प्रति सजग है। कोविड-19 के बाद हर कोई सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए पहुंच रहा है।’’
कम क्लास की संख्या पर सवाल
आपको बता दे पहली क्लास से पांचवीं क्लास तक एक शैक्षणिक सत्र में न्यूनतम 200 दिन या 800 घंटे, क्लास 6 से लेकर 8 तक 220 दिन या 1000 घंटे की क्लास होनी चाहिए। पर जब बच्चों को दिन में दो ही घंटे या हफ्ते के निर्धारित दिन ही पढ़ाया जा रहा है तो ये ‘शिक्षा के अधिकार कानून’ का उल्लंघन है। दरअसल याचिका में ये दलील दी गई है कि दिल्ली सरकार की वजह से छात्र पढ़ाई के लिए हतोत्साहित हो रहे हैं। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने दिल्ली सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।
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