Tuesday, July 9, 2024
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Delhi Government Schools: पहले किया पांच शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त, फिर दोबारा दी नौकरी; जानिए पूरा मामला

India News Delhi (इंडिया न्यूज), Delhi Government Schools: दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) के माध्यम से शिक्षा निदेशालय ने वर्ष 2019 में सरकारी स्कूलों में विभिन्न पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की थी। इन शिक्षकों के लिए दस्तावेज़ समेत बायोमीट्रिक और फोटो का सत्यापन किया गया था। हालांकि, इस प्रक्रिया में कुछ शिक्षकों के बायोमीट्रिक और फोटो मैच नहीं हुआ था, जिसके कारण पांच शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।

इस घटना के बाद, शिक्षा निदेशालय ने अब इन पांच शिक्षकों को दोबारा बहाल कर दिया है। निदेशालय ने यह निर्णय लिया है क्योंकि उनके द्वारा दी गई बायोमीट्रिक और फोटो सत्यापन में मैच नहीं हुआ था। शिक्षा निदेशालय के इस कदम से इन शिक्षकों को फिर से स्कूलों में काम पर ला दिया गया है।

Delhi Government Schools: पहले किया था बर्खास्त

शिक्षा निदेशालय ने पहले भी एक सरकारी स्कूलों में वर्ष 2019 में नियुक्ति पाकर कार्यरत 72 शिक्षकों को बायोमीट्रिक मैच नहीं होने के कारण अगस्त 2022 में बर्खास्त कर दिया था। बाद में जब उनके द्वारा दी गई बायोमीट्रिक मैच में मैच होने का पता चला, तो निदेशालय ने उन 61 शिक्षकों की बर्खास्तगी के आदेश को वापस लेकर उन्हें फिर से स्कूलों में बहाल कर दिया था।

फिर वापस मिली नौकरी

इन शिक्षकों को बहाल किया गया है, जिनमें बांकनेर के सर्वोदय बाल विद्यालय में टीजीटी प्राकृतिक विज्ञान के देवेंद्र सिंह, द्वारका के गवर्नमेंट कोएड सर्वोदय विद्यालय में पीजीटी इतिहास के दिनेश, शाहपुर जाट के सर्वोदय कोएड विद्यालय में टीजीटी सामाजिक विज्ञान की रिचा अग्रवाल, चांद नगर के सर्वोदय बाल विद्यालय में प्राइमरी शिक्षक अशीष गुलिया, और मदनपुर खादर के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में पीजीटी अंग्रेजी की अंजली चौहान शामिल हैं।

Delhi Government Schools: जानिए क्या है शिक्षकों का कहना?

इससे पहले भी कई ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें बर्खास्त करने के बाद शिक्षा निदेशालय ने उन्हें बाद में फिर से बहाल किया था। इन शिक्षकों का कहना है कि उन्हें तीन से अधिक सालों तक मानसिक रूप से परेशान किया गया था। उनके अनुसार, उनकी बायोमीट्रिक मशीन में तकनीकी खराबी के कारण पहली बार बायोमीट्रिक और फोटो मैच नहीं हो सका था, लेकिन उनके अन्य सभी दस्तावेज सही थे।

उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा निदेशालय ने उनके मामले की सही से छानबीन नहीं की थी और नोटिस थमाने की बजाय उन्हें बहाल करने का फैसला किया गया था। अब उनकी बहाली का निर्णय लिया गया है, जिससे वे फिर से अपनी शिक्षा कार्य में जुट सकेंगे।

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