India News(इंडिया न्यूज़)Delhi Greenery: मुख्यमंत्री शहरी बागवानी योजना के तहत मास्टर ट्रेनर सभी वार्डों में इच्छुक लोगों को बागवानी का प्रशिक्षण देंगे। साथ ही उन्हें सब्जियां उगाने के नए तरीके भी सिखाए जाएंगे। राजधानी में लोग अपने घर की छत पर बागवानी कर सकते हैं। छतों पर फल, सब्जियां और पौधे उगाकर क्षेत्र को हरा-भरा बनाएंगे। इतना ही नहीं, कीटनाशकों और हानिकारक रसायनों से बने उत्पादों से भी बचेंगे। इससे लोगों को ताजी सब्जियां खाने को मिलेंगी और पैसे की भी बचत होगी।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अब लोगों को शहरी बागवानी सिखाई जाएगी। साथ ही उन्हें सब्जियां उगाने के नए तरीके भी सिखाए जाएंगे। इसमें उर्वरक एवं मिट्टी के पोषक तत्व, बीज चयन, उद्यान रखरखाव, पौधों की प्रजातियों के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसे लेकर वन विभाग ने महात्मा गांधी संस्थान के साथ साझेदारी की है। इस योजना में 40 ट्रेनर को शामिल किया गया है। मास्टर ट्रेनर की कार्यशालाएं चल रही है।इसका पूरा होने के बाद यह लोगों को बागवानी के लिए प्रोत्साहित भी करेंगे।
हरियाली बढ़ाने और शहरी बागवानी को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम सप्ताह में एक बार प्रशिक्षकों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी देगी। इसमें करीब 40 प्रशिक्षक करीब 10 हजार लोगों को बागवानी का प्रशिक्षण देंगे। वहीं, एक टीम में 25 प्रतिभागी होंगे। इसमें 600 वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी। इसके तहत लोगों को अपनी छतों पर सब्जियां उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। वहीं, प्रत्येक प्रतिभागी को मौसमी सब्जियों और फूलों के बीज सहित एक किट दी जाएगी। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।
जिस तरह प्रदूषण से लोगों की सेहत खराब हो रही है, ऐसे में शहरी बागवानी को बढ़ावा देना अच्छी बात है। इसमें कई ऐसे पौधे भी लगाने चाहिए जो प्रदूषण के कणों को सोख लेते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह शहरों के लिए महत्वपूर्ण है। बागवानी में छोटी सी जगह में हरियाली उगाना एक बेहतर पहल है। इससे लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक होंगे।
मुख्यमंत्री शहरी बागवानी योजना दिल्ली के शहरी परिदृश्य को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके तहत हरित आवरण में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और जनभागीदारी से इस योजना को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसका उद्देश्य शहरी खेती के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना और दिल्ली में हरित नौकरियों को बढ़ावा देना है।